धर्म की आड़ में महिलाओं के साथ होने वाले जुर्म 'खतना' जिसे अंग्रेजी में फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन (एफजीएम) कहते हैं, पर सुप्रीम कोर्ट ने बैन लगा दिया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इस प्रथा से मासूम बच्चियों को अपूरणीय क्षति पहुंचती है जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती है। इसलिए इस पर रोक लगाना ही जरूरी है। आपको बता दें कि अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और 27 अफ्रीकी देशों में इस प्रथा पर रोक है।
लेकिन अब हमारे देश भारत में भी इस पर रोक लगा दी गई है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि इस प्रथा से बच्ची के कई मौलिक अधिकारों को उल्लंघन होता है। इससे भी अधिक खतने का स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ता है। आज हम आपको बता रहे हैं कि आखिर क्या होता है ये खतना और क्या हैं इसके शारीरिक दुष्प्रभाव।
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क्यों होता महिलाओं का खतना
लड़कियों का खतना करने के पीछे एक संकीर्ण पुरुषवादी मानसिकता जिम्मेदार है कि वो लड़की युवा होने पर अपने प्रेमी के साथ संबंध न बना सके। पहला बच्चा होने के बाद पति को कुछ दिनों के लिए यदि कहीं दूर जाना है तो वो अपनी पत्नी को अपनी योनि फिर से सिलवाकर बंद करने के लिए बाध्य करता है, ताकि उसकी पत्नी किसी अन्य पुरुष के साथ संसर्ग न कर सके।
अफ्रीका में आज भी युवा लड़कियों की शादी तभी होती है, जब उन्होंने बचपन में खतना करवाया होता है, क्योंकि वहां पर लड़कियों का खतना ही उनके कुंआरे और पवित्र होने का प्रमाण माना जाता है। पश्चिमी भारत और पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में स्त्रियों का खतना करने का रिवाज आज भी जारी है। जो लोग इस पवित्र समझते हैं शायद वो ये नहीं जानते हैं कि लड़कियों का खतना होने के बाद उनके जननांगों में संक्रमण होने से बहुत से बच्चियों की मौत तक हो जाती है। इस प्रथा को मानने वालों का यह भी कुतर्क है कि खतना हो जाने से स्त्री के जननांग ज्यादा साफ-सुथरे रहते हैं। हालांकि वास्तविक रूप में ये बात बिलकुल गलत है।
ऐसे होता है महिलाओं का खतना
छोटी लड़कियों का खतना एक सार्वजनिक समारोह जैसा होता है, जिसमें दर्द से छटपटाती और चीखती लड़की को भीड़ चारों ओर से घेरे रहती है और खतना करने वाली महिला या मर्द किसी टूटे शीशे के टुकड़े, चाकू या फिर रेजर के इस्तेमाल हो चुके ब्लेड से लड़की की योनिद्वार को कवर करने वाले अंगों क्लिटोरिस को काटकर अलग कर देता है और इसके बाद खून के रिसाव के बीच योनिद्वार के दोनों हिस्सों को आपस में सिल देता है। माना जाता है कि जिस महिला का खतना हो चुका है, वह अपने पति के प्रति ज्यादा वफादार होगी और किसी दूसरे पुरुष से जल्दी आकर्षित नहीं होती है।
महिलाओं को होते हैं ये नुकसान
जब एक ही चाकू, ब्लेड या धारदार चीज से कई महिलाओं का खतना किया जाता है तो इससे संक्रमण फैलने के चांस बहुत बढ़ जाते हैं। जिसके चलते महिलाओं में इंफेक्शन होने के साथ ही बांझपन जैसी समस्याएं भी जन्म ले लेती हैं। कई बार खतने के दौरान असहनीय दर्द होने के चलते बच्चियों का ज्यादा खून बह जाता है। जिस वजह से उनकी मौत हो जाती है या वह कोमा में चली जाती हैं।
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लेकिन अब हमारे देश भारत में भी इस पर रोक लगा दी गई है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि इस प्रथा से बच्ची के कई मौलिक अधिकारों को उल्लंघन होता है। इससे भी अधिक खतने का स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ता है। आज हम आपको बता रहे हैं कि आखिर क्या होता है ये खतना और क्या हैं इसके शारीरिक दुष्प्रभाव।
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लड़कियों का खतना करने के पीछे एक संकीर्ण पुरुषवादी मानसिकता जिम्मेदार है कि वो लड़की युवा होने पर अपने प्रेमी के साथ संबंध न बना सके। पहला बच्चा होने के बाद पति को कुछ दिनों के लिए यदि कहीं दूर जाना है तो वो अपनी पत्नी को अपनी योनि फिर से सिलवाकर बंद करने के लिए बाध्य करता है, ताकि उसकी पत्नी किसी अन्य पुरुष के साथ संसर्ग न कर सके।
अफ्रीका में आज भी युवा लड़कियों की शादी तभी होती है, जब उन्होंने बचपन में खतना करवाया होता है, क्योंकि वहां पर लड़कियों का खतना ही उनके कुंआरे और पवित्र होने का प्रमाण माना जाता है। पश्चिमी भारत और पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में स्त्रियों का खतना करने का रिवाज आज भी जारी है। जो लोग इस पवित्र समझते हैं शायद वो ये नहीं जानते हैं कि लड़कियों का खतना होने के बाद उनके जननांगों में संक्रमण होने से बहुत से बच्चियों की मौत तक हो जाती है। इस प्रथा को मानने वालों का यह भी कुतर्क है कि खतना हो जाने से स्त्री के जननांग ज्यादा साफ-सुथरे रहते हैं। हालांकि वास्तविक रूप में ये बात बिलकुल गलत है।
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छोटी लड़कियों का खतना एक सार्वजनिक समारोह जैसा होता है, जिसमें दर्द से छटपटाती और चीखती लड़की को भीड़ चारों ओर से घेरे रहती है और खतना करने वाली महिला या मर्द किसी टूटे शीशे के टुकड़े, चाकू या फिर रेजर के इस्तेमाल हो चुके ब्लेड से लड़की की योनिद्वार को कवर करने वाले अंगों क्लिटोरिस को काटकर अलग कर देता है और इसके बाद खून के रिसाव के बीच योनिद्वार के दोनों हिस्सों को आपस में सिल देता है। माना जाता है कि जिस महिला का खतना हो चुका है, वह अपने पति के प्रति ज्यादा वफादार होगी और किसी दूसरे पुरुष से जल्दी आकर्षित नहीं होती है।
महिलाओं को होते हैं ये नुकसान
जब एक ही चाकू, ब्लेड या धारदार चीज से कई महिलाओं का खतना किया जाता है तो इससे संक्रमण फैलने के चांस बहुत बढ़ जाते हैं। जिसके चलते महिलाओं में इंफेक्शन होने के साथ ही बांझपन जैसी समस्याएं भी जन्म ले लेती हैं। कई बार खतने के दौरान असहनीय दर्द होने के चलते बच्चियों का ज्यादा खून बह जाता है। जिस वजह से उनकी मौत हो जाती है या वह कोमा में चली जाती हैं।
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NOTE : यहां दी गई जानकारी एक सामान्य अनुमान और धारणा ओ के आधारित हे किसी भी जानाकरी कोई निष्कर्ष पर कृपया ना पोहचे। जानकारी के अनुरूप Expert की सलाह जरूर ले. धन्यवाद
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