आज के समय में कई लोग अपने खाली मकान या फ्लैट को किराए पर देकर अतिरिक्त आय अर्जित करते हैं। यह एक सामान्य और लोकप्रिय तरीका बन चुका है। खासतौर पर बड़े शहरों में लोग काम के सिलसिले में या नए शहर में बसने के लिए किराए के मकान ढूंढते हैं। ऐसे में मकान मालिक भी अपने खाली मकान को किराए पर देकर आर्थिक लाभ उठाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यदि कोई किरायेदार आपके घर में लगातार लंबे समय तक रहता है, तो वह उस संपत्ति पर कानूनी रूप से दावा भी कर सकता है?
क्या है प्रतिकूल कब्जा कानून?
भारतीय कानून के तहत यदि कोई किरायेदार आपकी निजी संपत्ति (जैसे फ्लैट या मकान) में 12 साल लगातार रहता है और इस दौरान मकान मालिक उसकी खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं करता है, तो किरायेदार ‘प्रतिकूल कब्जा’ के तहत उस संपत्ति पर मालिकाना हक का दावा कर सकता है। यह नियम आजादी से पहले से मौजूद है लेकिन इसके तहत दावा करने के लिए कई आवश्यक शर्तें पूरी करनी होती हैं।
किन दस्तावेजों की जरूरत होती है?
किसी भी दावे को सफल बनाने के लिए किरायेदार के पास बिजली बिल, पानी का बिल, संपत्ति कर के दस्तावेज जैसे सबूत होने चाहिए। यदि इन दस्तावेजों में मकान मालिक को कोई आपत्ति नहीं होती और किरायेदार यह प्रमाण दे पाता है कि वह संपत्ति में लगातार रहता आया है, तो वह संपत्ति पर कब्जा कर सकता है।
रेंटल एग्रीमेंट क्यों जरूरी है?
यदि आपके और किरायेदार के बीच लिखित रेंटल एग्रीमेंट होता है, तो किरायेदार इस तरह का दावा नहीं कर सकता। इसलिए मकान मालिकों के लिए यह जरूरी है कि वे भाड़े पर देते समय वैध और स्पष्ट लिखित समझौता करें। यह आमतौर पर 11 महीने का होता है, जिसे समय-समय पर नवीनीकृत किया जाना चाहिए। इसके अलावा, मकान मालिक के नाम पर ही बिजली और पानी के बिल होने चाहिए, ना कि किरायेदार के नाम पर।
मकान मालिक के लिए सावधानियां:
- लेखित रेंटल एग्रीमेंट बनाएं: हर बार किरायेदारी के लिए लिखित करार जरूरी है, जिसमें किराए की रकम, नियम और शर्तें स्पष्ट हों।
- नियमित निरीक्षण करें: समय-समय पर किराए के मकान का निरीक्षण करते रहें और देखें कि किरायेदार नियमों का पालन कर रहा है या नहीं।
- किरायेदार को बदलते रहें: जहां संभव हो, 2-3 साल बाद किरायेदार बदल देना चाहिए ताकि कोई किरायेदार बहुत लंबे समय तक कब्जा न जमा सके।
- कानूनी सलाह लें: यदि किरायेदार मकान खाली नहीं करता तो तुरंत किसी वकील से संपर्क करें और उचित कानूनी कार्रवाई करें।
यह समस्या क्यों होती है?
अक्सर मकान मालिक किरायेदार की नियमित जांच नहीं करते या रेंटल एग्रीमेंट सही तरीके से तैयार या नवीनीकृत नहीं करते। ऐसे में किरायेदार कई सालों तक मकान में रहता रहता जाता है और मकान मालिक द्वारा कोई कार्रवाई नहीं होने पर वह कानूनी दावा करने की स्थिति में आ जाता है।
निष्कर्ष
घर या फ्लेट को किराए पर देना एक अच्छा विकल्प है आर्थिक लाभ के लिए, लेकिन इसके साथ जुड़े कानूनी पहलुओं पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। सही दस्तावेज बनाए रखना, किरायेदारी की शर्तों का पालन कराना और समय-समय पर मकान की जांच करना मकान मालिक को भविष्य की मुश्किलों से बचा सकता है।
NOTE : यहां दी गई जानकारी एक सामान्य अनुमान और धारणा ओ के आधारित हे किसी भी जानाकरी कोई निष्कर्ष पर कृपया ना पोहचे। जानकारी के अनुरूप Expert की सलाह जरूर ले. धन्यवाद
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