दुनिया के कई देशों में प्रसिद्ध Hindu Temple (हिंदू मंदिर) हैं। एक ऐसा देश है
जहां World's Largest Hindu Temple (दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर) और सबसे
बड़ा धार्मिक स्मारक है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां कोई हिंदू नहीं
है। इस देश का ध्वज चिन्ह भी हिंदुओं का मंदिर है। हिंदू धर्म दुनिया का एकमात्र
ऐसा धर्म है जो सबसे पुराना है। माना जाता है कि हिंदू धर्म 12,000 साल से भी
ज्यादा पुराना है। हिंदू धर्म में मूर्ति पूजा और ध्यान का विशेष महत्व है। इस
बात के बहुत से प्रमाण हैं कि सनातन धर्म विश्व के अनेक देशों में प्रथम था।
हमारे देश के प्राचीन मंदिर पूरी दुनिया में अपने धार्मिक महत्व के लिए जाने जाते
हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर भारत में नहीं
है। भारत से 4800 किमी दूर दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर और दुनिया का सबसे
बड़ा धार्मिक स्मारक वाला देश है।
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यहाँ है दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर
World's Largest Hindu Temple (दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर) भारत में नहीं,
बल्कि ऐसे देश में है जहां एक भी हिंदू नहीं है। इस देश का नाम है Cambodia
(कंबोडिया)। मंदिर का नाम Angkor Wat (अंकोरवाट) है। मंदिर सिमरीप शहर में स्थित
है। Lord Vishnu (भगवान विष्णु) के इस मंदिर का क्षेत्रफल 8 लाख 20 हजार वर्ग
मीटर है। मंदिर को UNESCO द्वारा World Heritage Sites (विश्व धरोहर स्थल) भी
घोषित किया गया है। मंदिर को दुनिया के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक
माना जाता है।
यह मंदिर अंकोर वाट का मंदिर है जो कंबोडिया के अंकोर में स्थित है। इसका पुराना
नाम Yashodhpur (यशोधपुर) था। मेकंक नदी के किनारे सिमरीप शहर में स्थित इस मंदिर
को दुनिया के पांच अजूबों में से एक भी माना जाता है। यह हजारों वर्ग मील में
फैला एक मंदिर है।
यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। हालांकि कुछ शासकों ने यहां बड़े-बड़े शिव
मंदिर भी बनवाए थे। इंडोनेशियाई लोग इस मंदिर को जलमग्न मंदिर उद्यान भी कहते
हैं। अंकोरवाट का यह हिंदू मंदिर इतना खास है कि यह कंबोडियाई राष्ट्र का
राष्ट्रीय प्रतीक है। जिसकी तस्वीर यहां के राष्ट्रीय ध्वज पर देखी जा सकती है।
इस मंदिर को मेरु पर्वत का प्रतीक भी माना जाता है।
इस मंदिर की दीवारों पर रामायण और महाभारत के अवसरों को चित्रित किया गया है।
अलग-अलग जगहों पर अप्सराओं के नाचते हुए भित्ति चित्र भी हैं। यहां की दीवारों पर
असुरों और देवताओं के बीच समुद्र मंथन जैसे महत्वपूर्ण अवसरों के दृश्य भी देखने
को मिलते हैं। मंदिर को 1992 में यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में अंकित किया
गया था।
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मंदिर किसने बनवाया?
मंदिर का निर्माण राजा सूर्यवर्मन द्वितीय ने 1112 और 1153 के बीच करवाया था।
मंदिर का काम सूर्यवर्मन द्वितीय द्वारा शुरू किया गया था लेकिन यह धरनींद्रवर्मन
के शासनकाल के दौरान पूरा हुआ था। इसकी रक्षा के लिए मंदिर के चारों ओर एक विशाल
खाई बनाई गई है। यह ढाई मील लंबा और 650 फीट चौड़ा है।
दूर से देखने पर यह खाई किसी खूबसूरत झील जैसी नजर आती है। अगर हम इस मंदिर के
बारे में किंवदंतियों के बारे में बात करते हैं, तो इस मंदिर के बारे में कहा
जाता है कि देवराज इंद्र ने एक रात में अपने बेटे के लिए एक महल के रूप में इस
मंदिर का निर्माण किया था।
यह मंदिर दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर से चार गुना बड़ा है। जबकि यह दिल्ली के
बिड़ला मंदिर से 27 गुना बड़ा है। इस मंदिर को इंडोनेशिया के नागरिक जलमग्न मंदिर
के बगीचे के रूप में जानते हैं। जानकारों का कहना है कि पहले कंबोडिया में
ज्यादातर हिंदू रहते थे। लेकिन, धीरे-धीरे अन्य धर्मों ने यहां प्रभाव प्राप्त
किया। यहां की 95% आबादी बौद्ध है।
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मंदिर की विशेषताएं
1. मंदिर एक ऊँचे और चौड़े प्लेटफार्म पर बना है जिसमें तीन खंड हैं, प्रत्येक
में सुंदर मूर्तियाँ हैं और प्रत्येक खंड तक पहुँचने के लिए एक सीढ़ी है।
2. प्रत्येक खंड में 180 फीट ऊंचे आठ गुंबद हैं।
3. मुख्य मंदिर तीसरे खंड की विशाल छत पर स्थित है, जिसकी चोटी 213 फीट ऊंची है।
4. ऐसा भव्य और विशाल धार्मिक स्मारक विश्व में और कहीं नहीं मिलता है। यह मंदिर
वास्तु कला, स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है।
5. विदेशी पर्यटकों में सबसे ज्यादा चीनी पर्यटक अंकोटवाट में आते हैं। पिछले साल
अनुमानित 6 लाख पर्यटक यहां आए थे।
6. इस मंदिर का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है।
NOTE : यहां दी गई जानकारी एक सामान्य अनुमान और धारणा ओ के आधारित हे किसी भी जानाकरी कोई निष्कर्ष पर कृपया ना पोहचे। जानकारी के अनुरूप Expert की सलाह जरूर ले. धन्यवाद
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