मौत से चंद सेकेंड पहले क्या सोचता है? वैज्ञानिकों ने किया खुलासा



पहली बार किसी Dying (मरते) हुए व्यक्ति की Brain (मस्तिष्क) गतिविधि दर्ज की गई है। Brain (मस्तिष्क) में लयबद्ध क्रियाओं को देखा गया है। विस्तार से जानें

मौत से चंद सेकेंड पहले क्या सोचता है? वैज्ञानिकों ने किया खुलासा



पहली बार किसी Dying (मरते) हुए व्यक्ति की Brain (मस्तिष्क) गतिविधि दर्ज की गई है। Brain (मस्तिष्क) में लयबद्ध क्रियाएं देखी गई हैं। जब आप सपने देखते हैं तो आप यही महसूस करते हैं। Die (मृत्यु) के समय Brain (मस्तिष्क) की गतिविधियों को Die (मृत्यु) से पहले के जीवन को देखने के बराबर माना जाता है। मनुष्य अपने पुराने जीवन को Dying (मरने) से कुछ सेकंड या मिनट पहले याद करता है।

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डॉ. रोल विसेंट ने एस्टोनिया के टार्टू विश्वविद्यालय में एक 87 वर्षीय व्यक्ति के Brain (मस्तिष्क) को रिकॉर्ड किया। बुजुर्ग मिर्गी से पीड़ित था। EEG मशीन से बुजुर्गों के Brain (मस्तिष्क) पर लगातार नजर रखी जा रही थी।

जब डॉ. वृद्ध व्यक्ति की Brain (मस्तिष्क) गतिविधि की रिकॉर्डिंग देखकर विसेंट और उनकी टीम चौंक गई। यह पहली बार है कि किसी मरने वाले व्यक्ति की Brain (मस्तिष्क) गतिविधि दर्ज की गई है। इस रिकॉर्डिंग का विस्तृत अध्ययन फ्रंटियर्स ऑफ एजिंग न्यूरोसाइंस में प्रकाशित हुआ था।

अध्ययन में पाया गया कि जब तक दिल काम कर रहा था, बुजुर्गों के Brain (मस्तिष्क) में लहरें दौड़ रही थीं। ये तरंगें उस वृद्ध व्यक्ति की संज्ञानात्मक क्रियाओं से सक्रिय हुईं।

इनमें से कुछ तरंगें ऐसी भी थीं, जो जीवित मनुष्य सोते समय सपने देखते हुए उत्पन्न करता है। यानी अपनी पुरानी यादों में खोया। पुराने निर्देश जमा कर एक साथ देखने और सोचने की कोशिश कर रहे हैं। यह एकमात्र हिस्सा था जिसने वैज्ञानिकों को परेशान किया। क्योंकि उसके बाद दिल, शरीर और Brain (मस्तिष्क) सभी शांत हो जाते हैं। शरीर में किसी भी प्रकार की जैविक या रासायनिक प्रक्रिया बंद हो जाती है, जो एक जीवित व्यक्ति में होती है।

अध्ययन में पाया गया कि वृद्ध लोग मरने से पहले अपने जीवन में पुरानी घटनाओं को याद कर रहे थे। क्योंकि उस समय उनकी मांग की लहरें बहुत तीव्र थीं। यह Dying (मृत्यु) से ठीक पहले गंभीरता की सभी सीमाओं को पार कर रहा था। लेकिन जैसे-जैसे मौत नजदीक आई, यह धीमी होने लगी और आखिरकार EEG मशीन पर एक सीधी रेखा ही नजर आई।

डॉ। अजमल ने कहा कि यह स्टडी सिर्फ इंसानी Brain (मस्तिष्क) पर की गई है। तो इसकी भी अपनी सीमाएँ हैं। लेकिन इस बीच हमें एक नई जानकारी मिली है। ऐसा ही एक अध्ययन चूहों पर किया गया है। यह पता लगाने की कोशिश में कि दिल का दौरा पड़ने से पहले और बाद में चूहों के Brain (मस्तिष्क) की तरंगें कितनी बदल जाती हैं।

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डॉ. रोल ने कहा कि Dying (मृत्यु) के समय पुरानी यादों को याद करने की घटना कई जीवों में पाई जाती है। लेकिन अगर मानव Brain (मस्तिष्क) का और अधिक अध्ययन किया जाना है, तो और अधिक शोध की आवश्यकता होगी। हो सकता है कि बूढ़े लोगों, घटनाओं, यादों को एक धड़कते हुए आदमी को दिखाया जाए, तो मरने वाला खुशी से मौत को गले लगा सकता है। शांति से मार सकता है। उसे अपने दिमाग पर इतना दबाव नहीं डालना है।

NOTE : यहां दी गई जानकारी एक सामान्य अनुमान और धारणा ओ के आधारित हे किसी भी जानाकरी कोई निष्कर्ष पर कृपया ना पोहचे। जानकारी के अनुरूप Expert की सलाह जरूर ले. धन्यवाद

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