Navratri 2025 : Old Navratri Garba Songs and Aarti 2025



जब चारों ओर गहन अंधकार छा जाता है, और दैत्य महिषासुर का आतंक चरम पर पहुँच जाता है, तब देवता भी अपनी शक्तियों को समेट कर भयभीत हो उठते हैं। उस भयानक समय में, एक ऐसी अदृश्य शक्ति का जन्म होता है जो न केवल उस दानव का अंत करती है, बल्कि पूरी सृष्टि को नई ऊर्जा और जीवन प्रदान करती है। यह कहानी सिर्फ एक मिथक नहीं, बल्कि उस महान शक्ति के आगमन का प्रतीक है जिसे हम “नवरात्रि” कहते हैं। लेकिन यह कौन सी शक्ति है? और क्यों हर साल 9 रातों तक उसके आगमन का जश्न मनाया जाता है? क्या आप उस रहस्य को जानने के लिए तैयार हैं जो आपको भक्ति और विश्वास की एक नई दुनिया में ले जाएगा?

Navratri 2025 : Old Navratri Garba Songs and Aarti 2025


नवरात्रि कब है 2025? (Navratri 2025 Dates)

नवरात्रि, हिंदू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र त्योहार है। यह मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना का पर्व है, जो साल में चार बार आता है, लेकिन शारदीय और चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व है।

वर्ष 2025 में, शारदीय नवरात्रि निम्नलिखित तिथियों पर मनाई जाएगी:

नवरात्रि 2025 समय सारणी (Navratri 2025 Time Table)

तिथि दिन नवरात्रि का दिन देवी का स्वरूप
28 सितंबर 2025 रविवार पहला दिन देवी शैलपुत्री
29 सितंबर 2025 सोमवार दूसरा दिन देवी ब्रह्मचारिणी
30 सितंबर 2025 मंगलवार तीसरा दिन देवी चंद्रघंटा
1 अक्टूबर 2025 बुधवार चौथा दिन देवी कुष्मांडा
2 अक्टूबर 2025 गुरुवार पांचवां दिन देवी स्कंदमाता
3 अक्टूबर 2025 शुक्रवार छठा दिन देवी कात्यायनी
4 अक्टूबर 2025 शनिवार सातवां दिन देवी कालरात्रि
5 अक्टूबर 2025 रविवार आठवां दिन देवी महागौरी (दुर्गा अष्टमी)
6 अक्टूबर 2025 सोमवार नौवां दिन देवी सिद्धिदात्री (महानवमी)
7 अक्टूबर 2025 मंगलवार दसवां दिन दशहरा (विजयादशमी)

घटस्थापना का शुभ मुहूर्त (Ghatasthapana Shubh Muhurat)

नवरात्रि का प्रारंभ घटस्थापना के साथ होता है, जिसे कलश स्थापना भी कहते हैं। यह पूजा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। घटस्थापना का शुभ मुहूर्त: 28 सितंबर 2025 को सुबह 06:21 AM से 07:54 AM तक। (अवधि: 1 घंटा 33 मिनट) यह जानकारी ज्योतिष गणना पर आधारित है और इसमें स्थान के अनुसार मामूली बदलाव संभव है।

नवरात्रि क्यों मनाई जाती है? (Why is Navratri Celebrated?)

नवरात्रि मनाने के पीछे कई पौराणिक और सांस्कृतिक कारण हैं। इसका सबसे प्रमुख कारण शक्ति की देवी, मां दुर्गा की महिमा का गुणगान करना है।

1. महिषासुर का वध: पौराणिक कथाओं के अनुसार, महिषासुर नामक एक अत्यंत शक्तिशाली असुर ने देवताओं पर विजय प्राप्त कर ली थी। कोई भी देवता उसे पराजित नहीं कर पा रहा था। तब त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) ने अपनी शक्तियों को मिलाकर मां दुर्गा का सृजन किया। मां दुर्गा और महिषासुर के बीच 9 दिनों तक भयंकर युद्ध चला, और दसवें दिन मां ने महिषासुर का वध किया। इसलिए, यह नौ दिन शक्ति की जीत का प्रतीक हैं।

2. राम और रावण का युद्ध: एक अन्य मान्यता के अनुसार, भगवान राम ने रावण का वध करने से पहले 9 दिनों तक मां दुर्गा की आराधना की थी। दसवें दिन उन्हें विजय प्राप्त हुई, जिसे विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है।

3. प्रकृति का सम्मान: नवरात्रि का त्योहार मौसम परिवर्तन के समय आता है। यह प्रकृति में नई ऊर्जा और जीवन के आगमन का प्रतीक है। इन दिनों में लोग उपवास करके शरीर को शुद्ध करते हैं और प्रकृति के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।

Super Hit Prachin Garba: Here

Suresh Raval Lokpriya Garba: Here

Osman Mir - Bhoomi Trivedi Ramzat: Here

Tahuko Non Stop: Here

Tahuko Part 2: Here

Tahuko Part 3: Here

Tahuko Part 4: Here

Tahuko Part 5: Here

Tahuko Part 6: Here

Tahuko Part 10: Here

Tahuko Part 11: Here

Tahuko Part 18: Here

Non Stop Raas Bansari: Here

Chundadi: Here

9 देवियों का महत्व और पूजा विधि

नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। हर देवी का अपना विशेष महत्व है।

  1. पहला दिन - शैलपुत्री: ये हिमालय की पुत्री हैं। इन्हें शांति और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है।
  2. दूसरा दिन - ब्रह्मचारिणी: तप और संयम की देवी। इनकी पूजा से तपस्या और वैराग्य की भावना प्रबल होती है।
  3. तीसरा दिन - चंद्रघंटा: इनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है। ये साहस और वीरता की देवी हैं।
  4. चौथा दिन - कूष्मांडा: इन्होंने अपनी हंसी से ब्रह्मांड का निर्माण किया। ये सृष्टि की जननी हैं।
  5. पांचवां दिन - स्कंदमाता: भगवान स्कंद (कार्तिकेय) की माता। इनकी पूजा से संतान सुख और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
  6. छठा दिन - कात्यायनी: महर्षि कात्यायन की पुत्री। ये शक्ति और वीरता की देवी हैं।
  7. सातवां दिन - कालरात्रि: दुष्टों का नाश करने वाली। ये भय को दूर करती हैं और शुभ फल प्रदान करती हैं।
  8. आठवां दिन - महागौरी: ये शांति और समृद्धि की देवी हैं। इनकी पूजा से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
  9. नौवां दिन - सिद्धिदात्री: सभी सिद्धियां प्रदान करने वाली। ये ज्ञान और मोक्ष की देवी हैं।

पूजा विधि

नवरात्रि की पूजा विधि सरल लेकिन भावपूर्ण होती है।

  • सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • पूजा स्थल पर घटस्थापना करें (कलश स्थापित करें)।
  • मां दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
  • अखंड ज्योति प्रज्वलित करें।
  • हर दिन की देवी का ध्यान करें और मंत्रों का जाप करें।
  • देवी को फल, फूल, मिठाई और श्रृंगार का सामान अर्पित करें।
  • आरती करें और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. नवरात्रि के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

उपवास रखने वाले लोगों को सात्विक भोजन करना चाहिए। मांस, प्याज, लहसुन और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। ब्रह्मचर्य का पालन करें और सात्विक विचारों को अपनाएं।

2. क्या नवरात्रि में उपवास करना जरूरी है?

उपवास करना एक व्यक्तिगत पसंद है। यह शरीर और मन को शुद्ध करने का एक तरीका है। अगर आप उपवास नहीं कर सकते, तो भी आप पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा कर सकते हैं।

3. नवरात्रि पूजा सामग्री में क्या-क्या शामिल होता है?

घटस्थापना के लिए मिट्टी का कलश, जौ, लाल कपड़ा, नारियल, आम के पत्ते, रोली, चावल, गंगाजल और सिक्के। पूजा के लिए धूप, दीपक, फल, फूल, मिठाई, लाल चुनरी, और देवी की मूर्ति।

4. शारदीय नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि में क्या अंतर है?

दोनों ही मां दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित हैं। चैत्र नवरात्रि वसंत ऋतु में आती है, जबकि शारदीय नवरात्रि शरद ऋतु में। शारदीय नवरात्रि का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व अधिक है, क्योंकि इसके बाद दशहरा और दिवाली जैसे बड़े त्योहार आते हैं।


NOTE : यहां दी गई जानकारी एक सामान्य अनुमान और धारणा ओ के आधारित हे किसी भी जानाकरी कोई निष्कर्ष पर कृपया ना पोहचे। जानकारी के अनुरूप Expert की सलाह जरूर ले. धन्यवाद

Post a Comment

Previous Post Next Post