ममरा कैसे बनता है? क्या आप भेळ खाना बंद कर देंगे?



क्या आपने कभी सोचा है कि आपकी पसंदीदा चटपटी भेळ में इस्तेमाल होने वाले ममरा आखिर बनते कैसे हैं? वह हल्के, कुरकुरे और स्वादिष्ट चावल के दाने जो आपके मुँह में पानी ले आते हैं, उनकी बनने की प्रक्रिया कितनी साधारण या जटिल है? क्या यह सच है कि ममरा बनाने की प्रक्रिया में कुछ ऐसा भी शामिल है जो आपकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है? आज हम ममरा बनाने के उस रहस्य से पर्दा उठाएंगे, जिसे जानने के बाद शायद आप अपनी प्लेट में रखी अगली भेळ को देखकर दो बार सोचेंगे। तैयार हो जाइए एक ऐसी यात्रा पर जहाँ हम जानेंगे कि आपके इस पसंदीदा स्नैक के पीछे की सच्चाई क्या है।

ममरा बनाने की औद्योगिक प्रक्रिया का चित्रण


ममरा आखिर क्या है?

ममरा, जिसे अंग्रेजी में पफ्ड राइस (Puffed Rice) कहते हैं, चावल से बना एक बहुत ही लोकप्रिय और हल्का स्नैक है। भारत में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे कि मुरमुरे, पफ्ड धान, या भड़भुंजा। यह अपने हल्केपन, कुरकुरेपन और आसानी से उपलब्ध होने के कारण बहुत पसंद किया जाता है। इसका उपयोग भेळपुरी, सेव-ममरा, और कई अन्य नमकीन और मीठे व्यंजनों में किया जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि एक सामान्य सा चावल का दाना इतना बड़ा, हल्का और कुरकुरा कैसे हो जाता है?

ममरा बनाने की पूरी प्रक्रिया

ममरा बनाने की प्रक्रिया सुनने में जितनी सरल लगती है, उतनी ही वैज्ञानिक और नियंत्रित भी है। इसे बनाने के दो मुख्य तरीके हैं: पारंपरिक तरीका और औद्योगिक तरीका।

1. पारंपरिक तरीका (भड़भुंजा प्रक्रिया)

यह वह तरीका है जो सदियों से हमारे गाँवों और कस्बों में इस्तेमाल होता आया है।

  • धान का चुनाव: सबसे पहले, खास तरह के धान का चुनाव किया जाता है जिसमें नमी की मात्रा कम होती है।
  • भिगोना और सुखाना: इन धान को कुछ घंटों के लिए पानी में भिगोया जाता है, फिर उन्हें निकालकर धूप में अच्छी तरह से सुखाया जाता है। यह प्रक्रिया धान के अंदर की नमी को नियंत्रित करने में मदद करती है।
  • गर्म रेत में भूनना: इसके बाद, एक बड़ी कड़ाही में रेत को बहुत तेज आंच पर गर्म किया जाता है। जब रेत पूरी तरह से गर्म हो जाती है, तो उसमें भिगोए और सूखे हुए धान को डाला जाता है।
  • पफिंग की प्रक्रिया: जैसे ही धान गर्म रेत के संपर्क में आता है, उसके अंदर की नमी भाप बनकर अचानक फैलती है। इस भाप के दबाव से धान का बाहरी आवरण फट जाता है और वह फूलकर ममरे में बदल जाता है।
  • छानना: फूले हुए ममरे को तुरंत रेत से अलग करने के लिए एक जालीदार बर्तन से छाना जाता है। इस तरह, ममरा और रेत अलग-अलग हो जाते हैं।

यह तरीका काफी मेहनत भरा होता है, लेकिन इसमें बने ममरे का स्वाद और महक काफी अच्छी होती है।

2. औद्योगिक तरीका (औद्योगिक उत्पादन)

आजकल बाज़ार में मिलने वाले अधिकतर ममरा इसी तरीके से बनाए जाते हैं। यह प्रक्रिया अधिक तेज़ और बड़े पैमाने पर होती है।

  • चावल का चुनाव: इस प्रक्रिया में धान की बजाय सीधे चावल का इस्तेमाल होता है। आमतौर पर पुराने चावल को प्राथमिकता दी जाती है क्योंकि उसमें नमी कम होती है।
  • मशीनीकृत भुनाई: चावल को विशेष मशीनों में डाला जाता है जहाँ उन्हें बहुत ही उच्च तापमान और दबाव पर गर्म किया जाता है।
  • उच्च दबाव और तापमान: इस मशीन के अंदर, चावल को अचानक से बहुत अधिक तापमान (लगभग 200-250°C) और दबाव (लगभग 10-15 वायुमंडलीय दबाव) पर लाया जाता है।
  • पफिंग: जब चावल अचानक से सामान्य वायुमंडलीय दबाव में बाहर आता है, तो उसके अंदर की नमी तुरंत भाप में बदलकर चावल के दानों को फुला देती है। यह प्रक्रिया 'एक्सट्रूज़न' के रूप में जानी जाती है।
  • टेस्टिंग और पैकेजिंग: ममरा बनने के बाद उसकी गुणवत्ता की जांच की जाती है और फिर उन्हें पैकेजिंग के लिए भेज दिया जाता है।

सेहत और सुरक्षा से जुड़े सवाल

तो क्या ममरा सच में आपकी सेहत के लिए अच्छा है? यह सवाल कई लोगों के मन में उठता है।

फायदे:

  • कम कैलोरी: ममरा बहुत ही कम कैलोरी वाला स्नैक है, इसलिए यह वजन घटाने वालों के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
  • आसानी से पचता है: यह हल्का होने के कारण आसानी से पच जाता है, जिससे पेट से जुड़ी समस्याओं में आराम मिल सकता है।
  • सोडियम और फैट कम: बिना किसी अतिरिक्त नमक या तेल के ममरा में सोडियम और फैट की मात्रा बहुत कम होती है।

नुकसान और चिंताएं:

  • पोषक तत्व की कमी: ममरा बनाने की प्रक्रिया में चावल के कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व, जैसे विटामिन और मिनरल्स, नष्ट हो सकते हैं।
  • अधिक नमक और तेल: बाज़ार में मिलने वाले मसालेदार ममरा में अक्सर अधिक मात्रा में नमक, तेल, और मसाले डाले जाते हैं, जो सेहत के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
  • अस्वच्छ प्रक्रिया: कुछ छोटे ममरा बनाने वाले कारखानों में स्वच्छता का ध्यान नहीं रखा जाता, जिससे ममरा दूषित हो सकता है।
  • भेळ और सेहत: भेळ में ममरा के साथ-साथ कई ऐसी चीजें मिलाई जाती हैं जैसे पापड़ी, तीखी चटनी, और तेल, जो इसे एक अनहेल्दी स्नैक बना देती हैं। इसलिए, केवल ममरा खाने से ही सेहत को नुकसान नहीं होता, बल्कि उसके साथ मिलाई जाने वाली अन्य सामग्री भी जिम्मेदार होती है।

क्या आप भेळ खाना बंद कर देंगे?

इस पूरी प्रक्रिया को जानने के बाद, यह कहना गलत होगा कि आपको पूरी तरह से ममरा या भेळ खाना बंद कर देना चाहिए। बल्कि, आपको समझदारी से इसका सेवन करना चाहिए।

  • घर पर बनी भेळ खाएं, जिसमें आप नमक और मसालों की मात्रा को नियंत्रित कर सकते हैं।
  • साफ-सुथरी जगह से ममरा खरीदें।
  • इसे केवल एक स्नैक के रूप में खाएं, न कि मुख्य भोजन के रूप में।
  • ममरा को आप बिना मसालों के भी खा सकते हैं, जिससे वह ज्यादा सेहतमंद रहेगा।

तो, ममरा बनाने की प्रक्रिया जानने के बाद, यह आपके विवेक पर निर्भर करता है कि आप इसे कैसे और कहाँ से खरीदते हैं। इसका सेवन नियंत्रित मात्रा में करना ही सबसे अच्छा उपाय है। ममरा के फायदे और नुकसान को जानकर आप एक बेहतर निर्णय ले सकते हैं और अपने स्वास्थ्य का ध्यान रख सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

ममरा को अंग्रेजी में क्या कहते हैं?

ममरा को अंग्रेजी में "Puffed Rice" कहते हैं।

क्या ममरा वजन घटाने में मदद करता है?

हाँ, ममरा कम कैलोरी वाला होता है और इसमें फैट की मात्रा बहुत कम होती है, जिससे यह वजन घटाने के लिए एक अच्छा विकल्प है। लेकिन इसमें अतिरिक्त नमक और तेल नहीं होना चाहिए।

क्या ममरा बच्चों के लिए सुरक्षित है?

हाँ, साधारण ममरा बच्चों के लिए सुरक्षित है, क्योंकि यह आसानी से पच जाता है। लेकिन मसालेदार ममरा या भेळ बच्चों को देने से बचना चाहिए।

ममरा और लाई में क्या अंतर है?

ममरा धान से बनता है, जबकि लाई धान के बजाय सीधे चावल से बनती है। लाई थोड़ी चिपचिपी और बड़ी होती है, जबकि ममरा हल्का और अधिक कुरकुरा होता है।


NOTE : यहां दी गई जानकारी एक सामान्य अनुमान और धारणा ओ के आधारित हे किसी भी जानाकरी कोई निष्कर्ष पर कृपया ना पोहचे। जानकारी के अनुरूप Expert की सलाह जरूर ले. धन्यवाद

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