क्या आपने कभी सोचा है कि एक ऐसा पर्वत भी हो सकता है जो हिमालय से भी पुराना हो? एक ऐसा रहस्यमयी स्थान जहाँ 33 करोड़ देवी-देवता निवास करते हैं, जहाँ पाँच हजार साल से भी ज्यादा पुरानी अखंड धुनी जल रही है, और जहाँ की हर एक सीढ़ी एक अलग कहानी कहती है? गुजरात के जूनागढ़ शहर में स्थित गिरनार पर्वत केवल एक पहाड़ी नहीं, बल्कि आस्था, इतिहास और प्रकृति का एक अद्भुत संगम है। यहाँ की चढ़ाई सिर्फ शारीरिक मेहनत नहीं, बल्कि आत्मा की यात्रा है। हर कदम के साथ, आप एक ऐसे आध्यात्मिक संसार में प्रवेश करते हैं, जिसके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे। आइए, जानते हैं इस पवित्र पर्वत के अनमोल रहस्यों के बारे में।
गिरनार पर्वत: इतिहास और धार्मिक महत्व
गिरनार का प्राचीन नाम 'उर्जयंत' था, जिसका उल्लेख वेदों और पुराणों में भी मिलता है। यह पर्वत हिंदू और जैन दोनों धर्मों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। कहा जाता है कि यहाँ भगवान दत्तात्रेय, गोरखनाथ और नेमिनाथ (जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर) को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। यहाँ के पाँच प्रमुख शिखर हैं, जिनमें हर एक पर एक पवित्र मंदिर स्थित है:
- नेमिनाथ का शिखर: यह जैनियों का सबसे पवित्र स्थान है, जहाँ कई प्राचीन जैन मंदिर स्थित हैं।
- अंबा माता का शिखर: यहाँ स्थित अंबा माता का मंदिर भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव है।
- गोरखनाथ का शिखर: यह गिरनार का सबसे ऊँचा शिखर है, जहाँ गोरखनाथ का मंदिर है।
- कमंडल कुंड: यह स्थान प्राचीन ऋषि-मुनियों का निवास स्थान माना जाता है।
- गुरु दत्तात्रेय का शिखर: यह गिरनार का सबसे आखिरी और सबसे ऊँचा शिखर है, जहाँ भगवान दत्तात्रेय के पदचिह्न स्थित हैं।
इन सभी शिखरों तक पहुँचने के लिए लगभग 9,999 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। यह यात्रा भक्तों के लिए एक कठिन तपस्या मानी जाती है।
गिरनार की यात्रा: चढ़ाई या रोपवे?
गिरनार की चढ़ाई का अनुभव जीवनभर यादगार रहता है। सुबह-सुबह अंधेरे में टॉर्च की रोशनी में सीढ़ियां चढ़ना, और सूरज की पहली किरण के साथ ही प्रकृति का अद्भुत नजारा देखना, एक अविस्मरणीय अनुभव है। हालांकि, अब इस यात्रा को आसान बनाने के लिए गिरनार रोपवे की सुविधा भी उपलब्ध है।
गिरनार रोपवे की जानकारी
एशिया के सबसे बड़े रोपवे में से एक, यह रोपवे श्रद्धालुओं को अंबा माता के मंदिर तक आसानी से पहुँचा देता है।
- समय: सुबह 8:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक।
- किराया: आने-जाने का किराया लगभग ₹700 (वयस्क) और ₹350 (बच्चों के लिए) होता है। यह ध्यान रखें कि किराया समय-समय पर बदल सकता है।
- सुविधा: यह रोपवे लगभग 9 मिनट में आपको अंबा माता के मंदिर तक पहुँचा देता है, जिससे लगभग 5,000 सीढ़ियों की चढ़ाई बच जाती है। यहाँ से आगे की यात्रा आपको सीढ़ियों से ही करनी होगी।
जूनागढ़ और आस-पास घूमने लायक जगहें
गिरनार की यात्रा के साथ-साथ, जूनागढ़ शहर और उसके आसपास कई पर्यटक स्थल हैं जो आपकी यात्रा को और भी रोचक बना देंगे।
- ऊपरकोट किला (Uparkot Fort): यह एक प्राचीन किला है जिसका इतिहास 2300 साल से भी पुराना है। किले के अंदर दो प्राचीन बावड़ियां (कुएं), बौद्ध गुफाएं और जामा मस्जिद जैसे ऐतिहासिक स्थल हैं। यह इतिहास प्रेमियों के लिए एक अद्भुत जगह है।
- महाबत मकबरा (Mahabat Maqbara): यह जूनागढ़ का सबसे प्रसिद्ध और वास्तुकला की दृष्टि से सबसे खूबसूरत स्मारक है। इसकी अनूठी वास्तुकला में यूरोपीय, भारतीय और इस्लामी शैलियों का मिश्रण देखने को मिलता है।
- अशोक का शिलालेख (Ashoka's Rock Edicts): गिरनार की तलहटी में स्थित यह एक बड़ी चट्टान है, जिस पर सम्राट अशोक के 14 शिलालेख उत्कीर्ण हैं। यह एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और पुरातात्विक स्थल है।
- सक्करबाग चिड़ियाघर (Sakkarbaug Zoo): यह भारत का सबसे पुराना चिड़ियाघर है और यहाँ एशियाई शेर का प्रजनन केंद्र भी है। यह वन्यजीव प्रेमियों और बच्चों के लिए एक शानदार जगह है।
- दामोदर कुंड (Damodar Kund): गिरनार की तलहटी में स्थित यह एक पवित्र जल कुंड है। माना जाता है कि यहाँ स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है।
- भवनाथ महादेव मंदिर (Bhavnath Mahadev Temple): यह गिरनार की तलहटी में स्थित एक प्राचीन शिव मंदिर है, जहाँ महाशिवरात्रि के दौरान एक भव्य मेले का आयोजन होता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु आते हैं।
- गिर राष्ट्रीय उद्यान (Gir National Park): यदि आपके पास समय है, तो जूनागढ़ से लगभग 60 किमी दूर स्थित गिर राष्ट्रीय उद्यान की यात्रा जरूर करें। यह एशियाई शेरों का एकमात्र प्राकृतिक आवास है।
गिरनार परिक्रमा का अनुभव
हर साल कार्तिक पूर्णिमा के आसपास, लाखों श्रद्धालु गिरनार की परिक्रमा करते हैं, जिसे 'लीली परिक्रमा' भी कहते हैं। यह 36 किमी की पैदल यात्रा है जो घने जंगलों, घाटियों और पहाड़ियों से होकर गुजरती है। यह परिक्रमा न केवल एक धार्मिक यात्रा है, बल्कि प्रकृति और आध्यात्मिकता का एक अनूठा संगम भी है।
यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय और कुछ सुझाव
गिरनार की यात्रा का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक का होता है। इस दौरान मौसम सुहावना रहता है।
- सुबह जल्दी चढ़ाई शुरू करें, ताकि गर्मी से बच सकें।
- आरामदायक जूते पहनें और पर्याप्त पानी साथ रखें।
- बुजुर्गों और बच्चों के लिए रोपवे एक अच्छा विकल्प है।
- जूनागढ़ शहर में ठहरने के लिए कई अच्छे होटल और धर्मशालाएं उपलब्ध हैं।
गिरनार का यह सफर सिर्फ एक पर्यटक यात्रा नहीं, बल्कि एक ऐसा अनुभव है जो आपको भीतर से शांत और तरोताजा कर देगा। यहाँ का हर कदम, हर मंदिर और हर दृश्य एक कहानी कहता है, जिसे आपको खुद महसूस करना चाहिए।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
गिरनार पर्वत की चढ़ाई में कितना समय लगता है?
सीढ़ियों से चढ़ाई करने में सामान्यतः 3 से 5 घंटे लगते हैं, लेकिन यह आपकी शारीरिक क्षमता पर निर्भर करता है। रोपवे से अंबा माता मंदिर तक पहुँचने में लगभग 9 मिनट लगते हैं।
गिरनार रोपवे का किराया क्या है?
आने-जाने का किराया वयस्कों के लिए लगभग ₹700 है, जबकि 5-10 साल के बच्चों के लिए लगभग ₹350 है। यह किराया बदल सकता है।
क्या गिरनार परिक्रमा साल भर होती है?
नहीं, गिरनार परिक्रमा (लीली परिक्रमा) हर साल कार्तिक पूर्णिमा के आसपास ही होती है।
गिरनार के आसपास और कौन से दर्शनीय स्थल हैं?
गिरनार के अलावा, आप जूनागढ़ में ऊपरकोट किला, महाबत मकबरा, दामोदर कुंड, और गिर राष्ट्रीय उद्यान जैसी जगहों पर घूम सकते हैं।
NOTE : यहां दी गई जानकारी एक सामान्य अनुमान और धारणा ओ के आधारित हे किसी भी जानाकरी कोई निष्कर्ष पर कृपया ना पोहचे। जानकारी के अनुरूप Expert की सलाह जरूर ले. धन्यवाद
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