किशोर बियानी की शुरुआत: कॉलेज से कारोबार तक
यह कहानी 1983 से शुरू होती है, जब किशोर बियानी कॉलेज में थे। पारिवारिक व्यवसाय में शामिल होने के बजाय उन्होंने खुद का रास्ता चुना। उन्होंने देखा कि युवाओं में स्टोन वॉश फैब्रिक की मांग बढ़ रही है। उन्होंने जुपिटर मिल्स से 200 मीटर फैब्रिक खरीदा और उसे स्थानीय निर्माताओं को बेचना शुरू किया। व्यापार में लाभ होते ही उन्होंने अपने ब्रांड नाम 'पैंटालून' से खुद के कपड़े बनाने शुरू किए।
पैंटालून से फैशन की दुनिया में राज
'पैंटालून' ब्रांड ने कोलकाता में पहला स्टोर खोला और धीरे-धीरे महिलाओं, पुरुषों और बच्चों के कपड़े बेचने लगा। स्टोर का डिज़ाइन, लाइटिंग और माहौल ग्राहकों को आधुनिक अनुभव देता था। किशोर बियानी ने महसूस किया कि भारतीय खरीदार बदल रहा है और फैशन में निवेश करने लगा है।
बिग बाज़ार की स्थापना: हर चीज़ एक ही छत के नीचे
किशोर बियानी ने महसूस किया कि सिर्फ कपड़ों से आगे बढ़ना होगा। उन्होंने घर की जरूरतों की हर वस्तु – राशन, स्टेशनरी, कपड़े, ज्वेलरी और किचन आइटम – एक ही छत के नीचे लाने का निर्णय लिया। उन्होंने 'बाजार' शब्द का उपयोग किया ताकि आम आदमी खुद को इससे जुड़ा महसूस कर सके। और इसी सोच से 2001 में बिग बाज़ार का जन्म हुआ।
बिग बाज़ार की कामयाबी का शिखर
देखते ही देखते बिग बाज़ार की स्टोर्स देशभर में खुलने लगे। “संडे सबके लिए” जैसी टैगलाइन के साथ, भारी डिस्काउंट ऑफर्स ने ग्राहकों की भीड़ बढ़ा दी। लोग सुबह से लाइन में लगते थे। एक दिन में 30 करोड़ रुपये की बिक्री तक पहुँचना कोई आम बात नहीं थी। किशोर बियानी अब भारतीय रिटेल उद्योग के राजा बन चुके थे।
सेंट्रल मॉल और अन्य उपक्रम
2004 में बेंगलुरु में 20000 वर्गमीटर में फैला सेंट्रल मॉल खोला गया जिसमें शॉपिंग, फूड कोर्ट, मूवी थिएटर, रेस्टोरेंट्स, पब्स सबकुछ था। उन्होंने 'ईज़ी डे', 'होम टाउन', 'फैब फर्निश', 'चमौसा' जैसे कई ब्रांड शुरू किए। यह सब 'फ्यूचर ग्रुप' के अंतर्गत आता था।
तेजी से विस्तार: सबसे बड़ी गलती
लेकिन बियानी की सबसे बड़ी गलती थी बिना योजना के विस्तार। उन्होंने 13 ब्रांड्स खरीदे, कई क्षेत्रों में प्रवेश किया – घर, बीमा, निवेश, यहां तक कि रेस्टोरेंट और किताबों तक। यह सब लोन लेकर किया गया, बिना बैकअप या रणनीति के। उनका कर्ज 12000 करोड़ तक पहुँच गया।
2008 की मंदी और बर्बादी की शुरुआत
2008 की ग्लोबल मंदी के बाद बिग बाज़ार की बिक्री गिरने लगी। किशोर बियानी को लगा कि वह बिक्री के जरिए कर्ज चुका लेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 2012 में पैंटालून ब्रांड को 1600 करोड़ में आदित्य बिड़ला ग्रुप को बेचना पड़ा।
न्यायिक लड़ाइयाँ और ब्रांड का अंत
धीरे-धीरे बिग बाज़ार के स्टोर्स पर ताले लगने लगे। रिलायंस ने बिग बाज़ार को खरीद लिया और उसे 'स्मार्ट बाज़ार' में बदल दिया। किशोर बियानी को अपना सेंट्रल मॉल भी 476 करोड़ रुपये में बेचना पड़ा। फ्यूचर ग्रुप डिफॉल्टर घोषित हो गया।
सबक: सफलता का रास्ता सही योजना से गुजरता है
किशोर बियानी की कहानी हमें सिखाती है कि कोई भी ब्रांड चाहे जितना बड़ा हो, यदि सही योजना और फाइनेंशियल कंट्रोल न हो तो वह डूब सकता है। आज उनका साम्राज्य इतिहास बन चुका है।
FAQs: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
- Q1: बिग बाज़ार का मालिक कौन था?
- बिग बाज़ार का मालिक किशोर बियानी थे, जो फ्यूचर ग्रुप के संस्थापक हैं।
- Q2: बिग बाज़ार क्यों बंद हुआ?
- बिना योजना के विस्तार और भारी कर्ज के कारण बिग बाज़ार बंद हुआ।
- Q3: क्या बिग बाज़ार फिर से खुलेगा?
- नहीं, अब इसे रिलायंस रिटेल ने खरीद लिया है और इसका नाम स्मार्ट बाज़ार रख दिया गया है।
- Q4: किशोर बियानी अब क्या कर रहे हैं?
- फिलहाल किशोर बियानी किसी बड़े व्यावसायिक प्रोजेक्ट में सक्रिय नहीं हैं और कानूनी मामलों में उलझे हुए हैं।
NOTE : यहां दी गई जानकारी एक सामान्य अनुमान और धारणा ओ के आधारित हे किसी भी जानाकरी कोई निष्कर्ष पर कृपया ना पोहचे। जानकारी के अनुरूप Expert की सलाह जरूर ले. धन्यवाद
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