Urvashi Devi Temple फिल्म अभिनेत्री उर्वशी रौतेला एक टीवी शो के दौरान दिए गए बयान में यह दावा किया कि बदरीनाथ धाम में उनका खुद का मंदिर है। इस दावे के बाद उत्तराखंड के चमोली जिले में तीव्र विरोध शुरू हो गया है। बदरीनाथ धाम से जुड़े हकहकूकधारी, तीर्थ पुरोहित और स्थानीय पुजारियों ने इस बयान को "बचकाना" और "आस्था को ठेस पहुंचाने वाला" करार देते हुए विरोध जताया है।
🔥 हकहकूकधारियों और पुजारियों का विरोध
ब्रह्मकपाल तीर्थ पुरोहित संघ के अध्यक्ष अमित सती ने अभिनेत्री के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि:
“उर्वशी रौतेला को अपने बयान पर तत्काल माफी मांगनी चाहिए, अन्यथा हम पुरोहित समाज आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।”
बदरीनाथ के पूर्व धर्माधिकारी भुवनचंद्र उनियाल ने भी स्पष्ट किया कि:
“बदरीनाथ के पास स्थित मां उर्वशी देवी का मंदिर एक धार्मिक स्थल है, और इसे अपने नाम से जोड़ना एक गंभीर अपमान है। शास्त्रों में इस मंदिर का स्पष्ट उल्लेख है और इसे देवी के रूप में पूजा जाता है।”
🏔️ बामणी गांव के लोग भी नाराज़
बामणी गांव, जो बदरीनाथ धाम से महज़ एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, वहां के हकहकूकधारी बलदेव मेहता (पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष) ने कहा:
“उर्वशी रौतेला उत्तराखंड की बेटी हैं, उन्हें अपने पहाड़ी संस्कृति और परंपराओं की जानकारी होनी चाहिए। उनके बयान से स्थानीय लोगों की आस्था को ठेस पहुंची है।”
🙏 कौन हैं उर्वशी देवी?
शास्त्रों के अनुसार, उर्वशी को सौंदर्य की देवी के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि:
- भगवान विष्णु जब तपस्या कर रहे थे, तब उनकी जंघा से एक सुंदर अप्सरा प्रकट हुई, जिसका नाम उर्वशी था।
- उर्वशी ने बामणी गांव के निकट कुछ समय बिताया और उसी स्थान पर उनका मंदिर स्थापित है।
- बदरीनाथ के कपाट खुलते ही यहां पूजा अर्चना शुरू हो जाती है, और श्रद्धालु उन्हें सौंदर्य की देवी के रूप में पूजते हैं।
📖 एक और धार्मिक मान्यता
एक अन्य मान्यता के अनुसार, जब भगवान शिव माता सती के अंगों को लेकर पृथ्वी भ्रमण कर रहे थे, तब सती का एक टुकड़ा बामणी गांव में गिरा। उसी स्थान को देवी उर्वशी के रूप में पूजा जाता है। इसलिए यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र है।
🤝 क्या चाहिए उर्वशी रौतेला से?
स्थानीय लोग और पुजारी समाज यह मांग कर रहे हैं कि:
- उर्वशी रौतेला अपने बयान पर तुरंत माफी मांगें।
- धार्मिक स्थलों का व्यक्तिगत प्रचार में उपयोग न किया जाए।
- यदि माफी नहीं मांगी गई तो प्रदर्शन और आंदोलन किया जाएगा।
📌 निष्कर्ष
उत्तराखंड के पवित्र तीर्थ स्थलों को लेकर किसी भी तरह का गैर-जिम्मेदाराना बयान न केवल आस्था को ठेस पहुंचाता है, बल्कि समाज में विवाद और अशांति को भी जन्म देता है। उर्वशी रौतेला को एक जिम्मेदार कलाकार के रूप में जनता की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए।
NOTE : यहां दी गई जानकारी एक सामान्य अनुमान और धारणा ओ के आधारित हे किसी भी जानाकरी कोई निष्कर्ष पर कृपया ना पोहचे। जानकारी के अनुरूप Expert की सलाह जरूर ले. धन्यवाद
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