गुजरात में Chandipura virus चांदीपुरा वायरस लगातार फैलता जा रहा है। हर दिन कोई न कोई बच्चा इसका शिकार हो रहा है। दावा है कि मंगलवार तक गुजरात और राजस्थान में 12 मामले सामने आ चुके हैं। जिसमें 6 की मौत हो चुकी है और 6 का इलाज चल रहा है। इस वायरस से पीड़ित बच्चों को शुरुआत में बुखार आता है, फिर दिमाग में सूजन आती है और अगर मामला गंभीर हो जाए तो उनकी मौत हो जाती है। यह वायरस नाम और खतरे से बिल्कुल अलग है। ऐसे में सवाल ये है कि इस वायरस का नाम चांदीपुरा क्यों रखा गया? यह बीमारी कितनी पुरानी है?
गुजरात में चांदीपुरा वायरस से संदिग्ध 8 लोगों की मौत की खबर है। इस मौत के मामले में नमूनों के नतीजे आने के बाद ही पुष्टि हो सकेगी कि ये चांदीपुरा बीमारी के मामले थे या नहीं, चांदीपुरा बीमारी संक्रामक नहीं है लेकिन प्रारंभिक चरण में प्रभावित क्षेत्रों में गहन निगरानी को सूचित किया गया था। परिणामस्वरूप, अब तक कुल 4487 घरों में 18646 व्यक्तियों की जांच की गई है, कुल 2093 घरों में सैंडफ्लाई नियंत्रण के लिए कीटनाशकों का छिड़काव भी किया गया है।
इसीलिए इस वायरस का नाम चांदीपुरा रखा गया
डॉक्टर के मुताबिक चांदीपुरा वायरस का नाम चांदीपुरा इसलिए रखा गया क्योंकि इसका सबसे पहला प्रकोप साल 1964-65 में महाराष्ट्र के नागपुर के चांदीपुरा गांव में हुआ था। एक जगह पर ये एक वायरस था. यह वायरस बच्चों को फ्लू और जापानी एन्सेफलाइटिस के संयुक्त लक्षणों से संक्रमित करता है। खास बात ये है कि इसके बाद से दुनिया के किसी भी देश में इस वायरस का कोई मामला सामने नहीं आया है। लेकिन महाराष्ट्र से निकलकर यह आंध्र प्रदेश, गुजरात और राजस्थान तक भी फैल गया। फिलहाल गुजरात समेत अन्य राज्यों में इसके मामले देखने को मिल रहे हैं।
बरसात के मौसम में संक्रमण होता है
ऐसा माना जाता है कि यह संक्रमण आमतौर पर बरसात के मौसम में ही देखा जाता है। यह संक्रामक रोग मक्खियों और मच्छरों के काटने से होता है। यह संक्रमण 9 माह से 14 वर्ष तक के बच्चों में होता है। इस वायरस का संक्रमण आमतौर पर ग्रामीण इलाकों में पाया जाता है।
इन लक्षणों से सावधान रहें
विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर किसी बच्चे में बुखार, उल्टी, दस्त, सिरदर्द और ऐंठन जैसे प्राथमिक लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। इस रोग से प्रभावित बच्चे के मस्तिष्क में सूजन आ जाती है। इसके बाद बच्चे की हालत बिगड़ जाती है. माना जा रहा है कि इसी हालत में बच्चों की मौत हो रही है. हालांकि, संक्रमण की गंभीरता बताई जा रही है।
Chandipura virus symptoms / चांदीपुरा वायरस के लक्षण
चांदीपुरा वायरस के मामलों में मरीज को बुखार, उल्टी, सांस लेने में दिक्कत, दिमागी बुखार जैसे लक्षण होते हैं। इस बीमारी के अधिकांश लक्षण अन्य वायरस के समान ही होते हैं। इसलिए प्राथमिक चरण में बीमारी की पहचान करना मुश्किल होता है। हालाँकि, चांदीपुरा वायरस ज्यादातर 10 साल से कम उम्र के बच्चों में देखा जाता है। यह वायरस बेहद घातक है, इसलिए पीड़ित को जल्द से जल्द इलाज कराना जरूरी है। मरीजों में एन्सेफलाइटिस के लक्षण भी दिखने लगते हैं, जिसके कारण मरीज कोमा में भी जा सकता है।
Chandipura virus treatment / चांदीपुरा वायरस संक्रमण का उपचार
चांदीपुरा वायरस का वर्तमान में कोई विशिष्ट उपचार नहीं है।
हालाँकि, चूंकि यह वायरस खतरनाक है और इसके लक्षण एन्सेफलाइटिस (दिमागी बुखार) के समान हैं, इसलिए मरीज को जल्द से जल्द डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
चांदीपुरा वायरस से बचने के लिए मच्छरों और मक्खियों से बचना और स्वस्थ आहार खाना महत्वपूर्ण है।
मॉनसून के दौरान मक्खियाँ खुले में मिलने वाले भोजन को खा जाती हैं, जिसके कारण ये खाद्य पदार्थ आपको भी इस घातक बीमारी का शिकार बना सकते हैं।
NOTE : यहां दी गई जानकारी एक सामान्य अनुमान और धारणा ओ के आधारित हे किसी भी जानाकरी कोई निष्कर्ष पर कृपया ना पोहचे। जानकारी के अनुरूप Expert की सलाह जरूर ले. धन्यवाद
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