अब आठ घंटे की नहीं होगी सरकारी नौकरी, सरकार बढ़ाएगी काम का समय



केंद्र सरकार ने वेज कोड रूल्स का ड्राफ्ट जारी कर दिया है। इसमें 8 की जगह 9 घंटे कामकाज की सिफारिश की गई है। अभी 8 घंटे के नियम के तहत 26 दिन काम के बाद सैलरी तय होती है। हालांकि, इसमें राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन पर तस्वीर साफ नहीं है। ड्राफ्ट में केंद्र ने ज्यादातर पुराने सुझावों को ही रखा है। इसमें मेहनताना तय करने के लिए पूरे देश को 3 जियोग्राफिकल वर्गों में बांटा गया है।


श्रम मंत्रालय ने सभी संबंधित पक्षों से एक महीने में सुझाव मांगे हैं। केंद्र की ओर से जारी ड्राफ्ट में कहा है कि भविष्य में एक एक्सपर्ट कमेटी न्यूनतम मजदूरी तय करने के मसले पर सिफारिश सरकार से करेगी।

375 रुपए की सिफारिश

श्रम मंत्रालय ने जनवरी में 375 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से न्यूनतम वेतन की सिफारिश की थी। पैनल ने इसे जुलाई 2018 से लागू करने को कहा था। मिनिमम मंथली वेज 9,750 रु. रखने की सिफारिश की थी।

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केंद्र सरकार के कर्मचारियों को अब आठ के बजाय नौ घंटे तक काम करना पड़ सकता है। इसके लिए सरकार जल्द ही नियम बदलने जा रही है। केंद्र सरकार ने वेज कोड रूल का मसौदा भी तैयार कर लिया है।

इसमें सरकारी कर्मचारियों के काम करने के समय को एक घंटा बढ़ाने की सिफारिश की गई है। बता दें कि वर्तमान समय में आठ घंटे की कार्यावधि के नियम के तहत 26 दिन काम के बाद वेतन तय होता है। हालांकि इस मसौदे में राष्ट्रीय न्यूनतम वेतनमान की घोषणा शामिल नहीं है।

मसौदे में कहा गया है कि भविष्य में एक विशेषज्ञ समिति न्यूनतम वेतनमान को लेकर अलग से सरकार से सिफारिश करेगी। श्रम मंत्रालय ने सभी संबंधित पक्षों से इस मसौदे पर एक महीने में सुझाव भी मांगे हैं। दिसंबर में नियम को अंतिम रूप दिया जाएगा।

मजदूरी तय करने के लिए पूरे देश को तीन भौगोलिक वर्गों में विभाजित किया गया है। पहला, 40 लाख से ज्यादा की आबादी वाले मेट्रोपॉलिटन शहर। दूसरा, 10 से 40 लाख की आबादी वाले नॉन-मेट्रोपॉलिटन शहर और तीसरा ग्रामीण इलाके।

इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के अनुसार, श्रम मंत्रालय के एक आंतरिक पैनल ने जनवरी में अपनी रिपोर्ट में कहा था कि 'भारत के लिए राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन का एकल मूल्य जुलाई 2018 तक 375 रुपये प्रति दिन निर्धारित किया जाना चाहिए।' 9,750 रुपये के न्यूनतम मासिक वेतन के अलावा, सात-सदस्यीय पैनल ने यह भी सुझाव दिया था कि शहर में काम कर रहे कर्मचारियों के लिए 1,430 रुपये का आवास भत्ता प्रदान भी होना चाहिए।


वेतन की गणना में बदलाव नहीं

वेतन की गणना के तरीके में कोई अंतर नहीं है। इसके तहत रोजाना कैलरी इनटेक 2700, चार सदस्यों वाले परिवार के लिए सालाना 66 मीटर कपड़ा, खाने और कपड़ों पर खर्च का 10 फीसदी हिस्सा, मकान का किराया, यूटिलिटी ( तेल, बीजली और अन्य जरूरी खर्च ) पर न्यूनतम वेतन का 20 खर्च खर्च का हिसाब होगा।

NOTE : यहां दी गई जानकारी एक सामान्य अनुमान और धारणा ओ के आधारित हे किसी भी जानाकरी कोई निष्कर्ष पर कृपया ना पोहचे। जानकारी के अनुरूप Expert की सलाह जरूर ले. धन्यवाद

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