जानिए क्यूँ हो रहे है फेसबुक लाइव स्ट्रीमिंग के नियमो में बदलाव



फेसबुक ने न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च की दो मस्जिदों में हुई आतंकी हमले की लाइव स्ट्रीमिंग की घटना से सबक लेते हुए अब लाइव स्ट्रीमिंग और शेयरिंग को रोकने के लिए वन स्ट्राइक नीति बनाई है। फेसबुक ने कहा है कि फेसबुक के लाइव स्ट्रीमिंग फीचर की नीति तोड़ने वालों पर कंपनी प्रतिबंध लगाएगी। इसके अलावा अगर किसी यूजर ने अपने फेसबुक वॉल पर किसी हिंसक वीडियो की लाइव स्ट्रीमिंग की है, तो अब इस फीचर का दोबारा इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। क्राइस्टचर्च में हुए आतंकी हमले में 50 लोगों की मौत हुई थी।


फेसबुक ने न्यूजीलैंड की मस्जिद पर आतंकी हमले में 50 लोगों की मौत के बाद कहा है कि वह उसके प्लेटफार्म पर कौन यूजर लाइव जाएगा, इस पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी में है। कंपनी फेसबुक लाइव स्ट्रीमिंग सेवा के इस्तेमाल को लेकर नियमों को सख्त करने जा रही है। यद्यपि इसके लिए कुछ खास मापदंड रखे जाएंगे।

फेसबुक 'इंटीग्रिटी' के वाइस प्रेसिडेंट गाय रोसेन ने बताया कि मार्च महीने में क्राइस्टचर्च में दो मस्जिदों पर आंतकी हमले की लाइव स्ट्रीमिंग की गई थी। यहीं नहीं, इस हिंसक वारदात के वीडियो को सोशल मीडिया में कई यूजर्स ने शेयर भी किया था।

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रोसेन के कहा कि ऐसे में हमारी कोशिश है कि इस तरह की सेवा को सीमित किया जाए जिससे फेसबुक का इस्तेमाल नफरत फैलाने के लिए नहीं किया जा सके। इसके लिए कंपनी वन स्ट्राइक नीति को लागू करने जा रही है। इस नीति के लागू होने के बाद जो यूजर इसमें दी गईं शर्तों को तोड़ेगा उसके अकाउंट या फीचर्स पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा।

फेसबुक के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर शेरिल सैंडबर्ग ने एक ब्लॉग पोस्ट में कहा कि कंपनी कम्यूनिटी गाइडलाइंस के आधार पर यह मॉनीटर करेगी कि फेसबुक पर कौन लाइव जा सकता है। बता दें कि क्राइस्टचर्च हमलावर ने पूरी घटना को फेसबुक पर लाइव किया था। सैंडबर्ग ने ब्लॉग में लिखा कि इस घटना के बाद सवाल उठ रहे थे कि ऐसे भयानक वीडियो को सर्कुलेट करने के लिए फेसबुक जैसे ऑनलाइन माध्यमों का इस्तेमाल कैसे किया गया।

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उन्होंने कहा कि ऐसे ही यूजरों को प्रतिबंधित करने पर फेसबुक विचार कर रहा है। इसी मकसद ने घृणा फैलाने के मामलों को रोकने के लिए फेसबुक पर ज्यादा बदलाव किए जा रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड में घृणा फैलाने वाले समूहों की पहचान कर उन्हें फेसबुक से हटाने के लिए कंपनी एआई तकनीक का भी इस्तेमाल कर रही है।
ऐसे समूह फेसबुक सेवाओं का उपयोग नहीं कर पाएंगे। कंपनी ने तीन तरह के कदम उठाने को कहा है। पहला- फेसबुक लाइव के नियमों को सख्त करना, दूसरा- घृणा का फैलाव रोकना और तीसरा- न्यूजीलैंड समुदाय का समर्थन

संपादित वर्जन को शेयर या री-पोस्ट करने से रोकेंगे
फेसबुक सीओओ ने अपने ब्लॉग में लिखा कि कंपनी ऐसे लोगों प्रतिबंध लगाने के बारे मे विचार कर रही है जो पूर्व में फेसबुक लाइव में नियमों का उल्लंघन कर चुके हैं। फेसबुक सॉफ्टवेयर इंप्रूवमेंट के जरिए ऐसी तकनीक भी खोज रहा है जिससे हिंसक वीडियो और तस्वीरों के संपादित वर्जन का तुरंत पता लग सके और उन्हें शेयर या री-पोस्ट करने से रोका जा सके।

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फेसबुक के लिए 'ऐसे' वीडिया हटाना चुनौती
रोसेन ने कहा कि फेसबुक पर कोई यूजर अगर किसी आतंकवादी संगठन के बयान का लिंक साझा करता है, तब ये भी फेसबुक की नीति का उल्लंघन माना जाएगा। कंपनी ऐसे व्यक्ति के फेसबुक अकाउंट पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। रोसेन ने कहा कि न्यूजीलैंड में हुए आंतकी हमले के वीडियो को फेसबुक ने कई यूजर्स की वॉल से हटाया था, लेकिन कई यूजर्स ने इस आपत्तिजनक वीडियो का एडिटेड संस्करण साझा कर दिया। यह भी हमारे लिए चुनौती है।

फेसबुक कर रहा एआई का उपयोग
ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में नफरत फैलाने वाले समूहों की पहचान कर उन्हें अपने प्लेटफॉर्म से हटाने के लिए फेसबुक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) का इस्तेमाल भी कर रहा है। ऐसे समूह फेसबुक की कोई भी सेवा का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। फेसबुक ने पिछले दिनों घोषणा की थी कि वह श्वेत राष्ट्रवाद और श्वेत अलगाववाद की तारीफ या उसके समर्थन को प्रतिबंधित करेगा। फेसबुक और इंस्टाग्राम पर यह प्रतिबंध अगले हफ्ते लागू हो जाएगा। फेसबुक ने फोटो और वीडियो विश्लेषण तकनीक में सुधार करने के लिए अमेरिका के तीन विश्वविद्यालयों के साथ अनुबंध किया है। इसके लिए वो 75 लाख डॉलर (करीब 51 करोड़ रुपये) खर्च कर रहा है।

NOTE : यहां दी गई जानकारी एक सामान्य अनुमान और धारणा ओ के आधारित हे किसी भी जानाकरी कोई निष्कर्ष पर कृपया ना पोहचे। जानकारी के अनुरूप Expert की सलाह जरूर ले. धन्यवाद

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