आज देश जीत गया : राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद फैसला | जाने अब तक क्या-क्या हुआ in 1528- 2019
Ram Mandir Case Result of Ram Mandir राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले
में सुप्रीम कोर्ट अपना बहुप्रतीक्षित फैसला आज सुबह साढ़े 10 बजे
सुनायेगा. शीर्ष न्यायालय की वेबसाइट पर एक नोटिस के माध्यम से शुक्रवार
शाम इस बारे में जानकारी दी गई. चीफ जस्टिस रंजन गोगई की अध्यक्षता वाली
बेंच इसपर फैसला सुनाएगी. 16 अक्टूबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या
मामले पर सुनवाई पूरी कर ली थी. 6 अगस्त से लगातार 40 दिनों तक इसपर सुनवाई
हुई. बता दें कि 17 नवंबर को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई रिटायर हो रहे हैं. वे
सुप्रीम कोर्ट के 46वें चीफ जस्टिस हैं. तो आइए एक नजर डालते हैं अब तक
घटनाक्रम पर....
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Breaking News
9 नबंबर: चीफ जस्टिस रंजन गोगई की अध्यक्षता वाली बेंच इसपर फैसला सुनाएगी. 6 अगस्त से लगातार 40 दिनों तक इसपर सुनवाई हुई.
10:41
- निर्मोही अखाडा का दावा ख़ारिज कर दिया है. निर्मोही अखाडा जगह की सेवा करना चाहता था - चीफ जस्टिस
10:51
- बाबरी मस्जिद सिर्फ खाली जमीन नहीं बनी है - चीफ जस्टिस
- ASI नहीं बता पाया की मंदिर तोड़कर मस्जिद बनी थी
- विवादित जमीन राम लल्ला की
11:12
- मुस्लिम पक्षकार को जमीन देनी पड़ेगी 5 अकड़ जमीन कही और देनी ही पड़ेगी
- राम मंदिर ट्रस्ट बनाकर मंदिर बनना ने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार को सौंपी गयी
- केंद्र सरकार मंदिर बनाने का नियम बनाने होंगे
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9 नबंबर: चीफ जस्टिस रंजन गोगई की अध्यक्षता वाली बेंच इसपर फैसला सुनाएगी. 6 अगस्त से लगातार 40 दिनों तक इसपर सुनवाई हुई.
10:41
- निर्मोही अखाडा का दावा ख़ारिज कर दिया है. निर्मोही अखाडा जगह की सेवा करना चाहता था - चीफ जस्टिस
10:51
- बाबरी मस्जिद सिर्फ खाली जमीन नहीं बनी है - चीफ जस्टिस
- ASI नहीं बता पाया की मंदिर तोड़कर मस्जिद बनी थी
- विवादित जमीन राम लल्ला की
11:12
- मुस्लिम पक्षकार को जमीन देनी पड़ेगी 5 अकड़ जमीन कही और देनी ही पड़ेगी
- राम मंदिर ट्रस्ट बनाकर मंदिर बनना ने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार को सौंपी गयी
- केंद्र सरकार मंदिर बनाने का नियम बनाने होंगे
- अयोध्या में बनेगा राम मंदिर
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद केस मामले का घटनाक्रम इस प्रकार है-
1528 : मुगल बादशाह बाबर के कमांडर मीर बाकी ने बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया.
1885 : महंत रघुबीर दास
ने फैजाबाद जिला अदालत में याचिका दायर कर विवादित ढांचे के बाहर शामियाना
तानने की अनुमति मांगी। अदालत ने याचिका खारिज कर दी.
1949 : विवादित ढांचे के बाहर केंद्रीय गुंबद में रामलला की मूर्तियां स्थापित की गईं.
1950 : रामलला की मूर्तियों की पूजा का अधिकार हासिल करने के लिए गोपाल सिमला विशारद ने फैजाबाद जिला अदालत में याचिका दायर की.
1950: परमहंस रामचंद्र दास ने पूजा जारी रखने और मूर्तियां रखने के लिए याचिका दायर की.
1959 : निर्मोही अखाड़ा ने जमीन पर अधिकार दिए जाने के लिए याचिका दायर की.
1981 : उत्तरप्रदेश सुन्नी केंद्रीय वक्फ बोर्ड ने स्थल पर अधिकार के लिए याचिका दायर की.
एक फरवरी 1986 : स्थानीय अदालत ने सरकार को पूजा के मकसद से हिंदू श्रद्धालुओं के लिए स्थान खोलने का आदेश दिया.
14 अगस्त 1986 : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित ढांचे के लिए यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया.
Ram Mandir Case Result of Ram Mandir छह दिसम्बर 1992 : रामजन्मभूमि - बाबरी मस्जिद ढांचे को ढहाया गया.
तीन अप्रैल 1993 :
विवादित स्थल में जमीन अधिग्रहण के लिए केंद्र ने ‘अयोध्या में निश्चित
क्षेत्र अधिग्रहण कानून’ पारित किया. अधिनियम के विभिन्न पहलुओं को लेकर
इलाहाबाद हाई कोर्ट में कई रिट याचिकाएं दायर की गईं. इनमें इस्माइल फारूकी
की याचिका भी शामिल. सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 139ए के तहत अपने अधिकारों
का इस्तेमाल कर रिट याचिकाओं को स्थानांतरित कर दिया जो हाई कोर्ट में
लंबित थीं.
24 अक्टूबर 1994 : सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक इस्माइल फारूकी मामले में कहा कि मस्जिद इस्लाम से जुड़ी हुई नहीं है.
Supreme Court Judgement on Ram Mandir Case अप्रैल 2002 : हाई कोर्ट में विवादित स्थल के मालिकाना हक को लेकर सुनवाई शुरू हुई.
13 मार्च 2003 : सुप्रीम कोर्ट ने असलम उर्फ भूरे मामले में कहा, अधिग्रहीत स्थल पर किसी भी तरह की धार्मिक गतिविधि की अनुमति नहीं है.
30 सितम्बर 2010 :
सुप्रीम कोर्ट ने 2 : 1 बहुमत से विवादित क्षेत्र को सुन्नी वक्फ बोर्ड,
निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच तीन हिस्सों में बांटने का आदेश दिया.
9 मई 2011 : सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या जमीन विवाद में हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई.
26 फरवरी 2016 : सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर विवादित स्थल पर राम मंदिर बनाए जाने की मांग की.
21 मार्च 2017 : सीजेआई जे एस खेहर ने संबंधित पक्षों के बीच अदालत के बाहर समाधान का सुझाव दिया.
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सात अगस्त : सुप्रीम
कोर्ट ने तीन सदस्यीय पीठ का गठन किया जो 1994 के इलाहाबाद हाई कोर्ट के
फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगी.
Supreme Court Judgement on Ram Mandir Case आठ अगस्त : उत्तरप्रदेश
शिया केंद्रीय वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि विवादित स्थल से उचित
दूरी पर मुस्लिम बहुल इलाके में मस्जिद बनाई जा सकती है.
11 सितम्बर : सुप्रीम
कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को निर्देश दिया कि दस
दिनों के अंदर दो अतिरिक्त जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति करें जो विवादिस्त
स्थल की यथास्थिति की निगरानी करे.
20 नवम्बर : यूपी शिया केंद्रीय वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि मंदिर का निर्माण अयोध्या में किया जा सकता है और मस्जिद का लखनऊ में.
एक दिसम्बर : इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2010 के फैसले को चुनौती देते हुए 32 मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने याचिका दायर की.
आठ फरवरी 2018 : सिविल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई शुरू की.
14 मार्च: सुप्रीम कोर्ट ने स्वामी की याचिका सहित सभी अंतरिम याचिकाओं को खारिज किया.
छह अप्रैल : राजीव धवन
ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर 1994 के फैसले की टिप्पणियों पर
पुनर्विचार के मुद्दे को बड़े पीठ के पास भेजने का आग्रह किया.
छह जुलाई : यूपी सरकार
ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि कुछ मुस्लिम समूह 1994 के फैसले की टिप्पणियों
पर पुनर्विचार की मांग कर सुनवाई में विलंब करना चाहते हैं.
20 जुलाई: सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा.
27 सितम्बर : सुप्रीम
कोर्ट ने मामले को पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष भेजने से इंकार किया.
मामले की सुनवाई 29 अक्टूबर को तीन सदस्यीय नयी पीठ द्वारा किए जाने की
बात कही.
29 अक्टूबर: सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई उचित पीठ के समक्ष जनवरी के पहले हफ्ते में तय की जो सुनवाई के समय पर निर्णय करेगी.
12 नवम्बर: अखिल भारत हिंदू महासभा की याचिकाओं पर जल्द सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इंकार.
चार जनवरी 2019 :
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मालिकाना हक मामले में सुनवाई की तारीख तय करने के
लिए उसके द्वारा गठित उपयुक्त पीठ दस जनवरी को फैसला सुनाएगी.
आठ जनवरी : सुप्रीम
कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ का गठन
किया जिसकी अध्यक्षता प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई करेंगे और इसमें
न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति एन वी रमन्ना, न्यायमूर्ति यू यू ललित
और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ शामिल होंगे.
दस जनवरी : न्यायमूर्ति
यू यू ललित ने मामले से खुद को अलग किया जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले
की सुनवाई 29 जनवरी को नयी पीठ के समक्ष तय की.
25 जनवरी: सुप्रीम कोर्ट
ने मामले की सुनवाई के लिए पांच सदस्यीय संविधान पीठ का पुनर्गठन किया.
नयी पीठ में प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे,
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए
नजीर शामिल थे.
26 फरवरी: सुप्रीम कोर्ट
ने मध्यस्थता का सुझाव दिया और फैसले के लिए पांच मार्च की तारीख तय की
जिसमें मामले को अदालत की तरफ से नियुक्त मध्यस्थ के पास भेजा जाए अथवा
नहीं इस पर फैसला लिया जाएगा.
आठ मार्च : सुप्रीम
कोर्ट ने मध्यस्थता के लिए विवाद को एक समिति के पास भेज दिया जिसके
अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एफ एम आई कलीफुल्ला बनाए गए.
नौ अप्रैल: निर्मोही
अखाड़े ने अयोध्या स्थल के आसपास की अधिग्रहीत जमीन को मालिकों को लौटाने
की केन्द्र की याचिका का सुप्रीम कोर्ट में विरोध किया.
10 मई: मध्यस्थता प्रक्रिया को पूरा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 15 अगस्त तक समय बढ़ाई.
11 जुलाई: सुप्रीम कोर्टने “मध्यस्थता की प्रगति” पर रिपोर्ट मांगी.
18 जुलाई: सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता प्रक्रिया को जारी रखने की अनुमति देते हुए एक अगस्त तक परिणाम रिपोर्ट देने के लिये कहा.
एक अगस्त: मध्यस्थता की रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में अदालत को दी गई.
दो अगस्त : सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता नाकाम होने पर छह अगस्त से रोजाना सुनवाई का फैसला किया.
छह अगस्त: सुप्रीम कोर्ट ने रोजाना के आधार पर भूमि विवाद पर सुनवाई शुरू की.
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Ayodhya ka Faisla चार अक्टूबर: अदालत ने
कहा कि 17 अक्टूबर तक सुनवाई पूरी कर 17 नवंबर तक फैसला सुनाया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को राज्य वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष को
सुरक्षा प्रदान करने के लिये कहा.
16 अक्टूबर: सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा.
9 नबंबर: चीफ जस्टिस रंजन गोगई की अध्यक्षता वाली बेंच इसपर फैसला सुनाएगी. 6 अगस्त से लगातार 40 दिनों तक इसपर सुनवाई हुई.
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10:51
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11:12
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किसी भी हेल्थ टिप्स को अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य ले. क्योकि आपके शरीर के अनुसार क्या उचित है या कितना उचित है वो आपके डॉक्टर के अलावा कोई बेहतर नहीं जानता
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