मोदी के साथ 4 साल VS कांग्रेस के पिछले 4 साल
चार साल में अपने वादों पर कितना खरे उतरे पीएम मोदी, जानें
महिलाओं ने बताया कैसी है मोदी सरकार। देहरादून। साल 2014 में प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई मोदी सरकार को आज चार साल पूरे हो गए है। अच्छे दिनों का वादा लेकर मोदी सरकार सत्ता पर तो काबिज हो गई, लेकिन क्या इन बीते चार सालों में महंगाई, रोजगार और भ्रष्टाचार के अपने वादों की कसौटी पर मोदी सरकार खरी उतर पाई है।
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केंद्र की मोदी सरकार के बीते चार साल के कार्यकाल में महिलाओं के हिस्से क्या आया और मोदी सरकार के इन चार सालों को वो किस तरह से देखती है। इस पर बातचीत से पता चलता है कि महिलाएं मोदी के कार्यकाल में हुए आर्थिक सुधारों को सही बता रही है लेकिन, मंहगाई और रोजगार के अवसरों पर उन्होंने मोदी सरकार को फेल करार दिया है। उनका कहना है कि महंगाई दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है और लोगों के लिए घर का खर्चा चलाना मुश्किल हो गया है।
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वहीं, युवतियों को मोदी सरकार में काफी उम्मीद नजर आ रही है। उनका कहना है कि सरकार के स्किल इंडिया और स्टार्ट इंडिया प्रोग्राम के कारण युवाओं को स्वरोजगार अपनाने का मौका मिला है। इसके साथ ही सरकार को युवाओं के लिए कुछ और नई योजनाएं लाने की आवश्यकता ताकि बेरोजगारी की समस्या से निपटा जा सके।
महिलाओं से जब GST के बारे में पूछा गया तो इसे लेकर उनकी मिली-जुली राय थी। हालांकि, GST की जटिलता और गणित उनके लिए टेढ़ी खीर है। उनका कहना है कि GST से रोजमर्रा की जरुरतों की चीजों के दाम घटने की बात हो रही थी, लेकिन उन्हें ऐसा कुछ अबतक लगा नहीं। हालांकि, उन्होंने अगले एक साल में कुछ बेहतरी की उम्मीद जताई है।
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2019 में होने जा रहे आम चुनाव को लेकर जब महिलाओं से बात की गई तो उनका कहना था कि अभी तक मोदी सरकार अच्छा काम कर रही है और प्रधानमंत्री के रुप में उन्हें अभी मोदी ही एकमात्र विकल्प के रूप में दिखते है और सम्भवत: 2019 में वो नरेंद्र मोदी को ही पीएम देखना चाहते है।
बहरहाल, इस पूरी बातचीत में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार जैसे मुद्दे महिलाओं के बीच गौण से नजर आए लेकिन, इतना जरुर है कि बीते चार सालों में लगातार बढ़ती महंगाई से महिलाओं की रसोई का बजट जरुर गड़बड़ा गया है। हालांकि, सरकार के बचे हुए एक साल से उन्हें आज भी अच्छे दिनों की उम्मीद नजर आ रही है।
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स साल 26 मई को मोदी सरकार के चार साल पूरे हो जाएंगे और सरकार अगले लोक सभा चुनाव से पहले इसे सरकार की उपलब्धियों को देशभर में ले जाने के मौके की तरह मनाएगी. इसके लिए चार वरिष्ठ कैबिनेट मंत्रियों की समिति ने विस्तृत खाका तैयार किया है. 48 साल बनाम 48 महीनों के नारे के साथ कांग्रेस और बीजेपी की सरकारों के बीच काम के अंतर को रेखांकित भी किया जाएगा. गांव-गांव बिजली के बाद अब घर-घर बिजली पहुंचाने का लक्ष्य, बुलेट ट्रेन के माध्यम से देश के विकास का खाका, उज्जवला योजना में अब पांच करोड़ घरों का नया लक्ष्य और हर दिन 50 किलोमीटर सड़क बनाने का लक्ष्य जनता के सामने रखा जाएगा. सरकार पिछले चार साल में सृजित रोजगार का आंकड़ा भी देश को बताएगी.
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चौथी वर्षगांठ पर मोदी सरकार कई अलग-अलग प्रचार अभियान चलाएगी. यह राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर होगा. सभी मंत्रालय अपनी उपलब्धियों का ब्यौरा देश के सामने रखेंगे. सभी मंत्री अलग-अलग राज्यों में प्रेस कांफ्रेंस तथा जनसभाएं करेंगे. विज्ञापनों और प्रचार के लिए अलग अलग टैगलाइन और थीम तैयार किया है, जिसके माध्यम से सरकार की चार साल की उपलब्धियों को जनता तक ले जाया जाएगा.
‘48 साल बनाम 48 महीने'
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सरकार को यह अहसास है कि अब जबकि लोकसभा चुनाव सिर पर हैं, 2014 में किए गए उसके वादे कितने खरे उतरे, यह सवाल सबके जहन में है. इसीलिए चार साल पूरे होने पर मोदी सरकार 48 साल बनाम 48 महीने का आक्रामक प्रचार करेगी. इसमें कांग्रेस और उसका शासन सरकार के निशाने पर रहेगा. इसमें मोदी सरकार के चार साल और कांग्रेस के 48 साल के कामकाज तथा उपलब्धियों की तुलना की जाएगी. भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कांग्रेस का चेहरा जनता के सामने रखा जाएगा जबकि इस मोर्चे पर सरकार अपना दामन साफ रखने पर अपनी पीठ भी थपथपाएगी. कांग्रेस पर विकास की रफ्तार धीमी रखने का आरोप लगाया जाएगा जबकि आंकड़ों के सहारे यह साबित करने की कोशिश होगी कि किस तरह से पिछले चार साल में देश ने विकास के नए आयामों को छुआ है.
उज्जवला योजना

बुलेट ट्रेन
बुलेट ट्रेन को रेल मंत्रालय की सबसे बड़ी कामयाबी के तौर पर पेश किया जाएगा. सरकार अपने प्रचार अभियान में बुलेट ट्रेन को विकास की तेज रफ्तार की तरह बताएगी. बुलेट ट्रेन को 'तेज गति ,तेज प्रगति और तेज टेक्नॉलॉजी के माध्यम से तेज परिणाम लाने वाला साबित किया जाएगा. बुलेट ट्रेन को सुविधा, सुरक्षा के साथ ही रोजगार और रफ्तार लाने वाला प्रोजेक्ट बताया जाएगा.
'रास्ता सही है, मंजिल बाकी है'
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सरकार इस थीम के जरिए अपने सभी मंत्रालयों की उपलब्धियों को जनता को बताएगी कि उनके कार्यकाल में कैसे गरीब कल्याण योजनाओं का फायदा देश की आम जनता तक पहुंचाया है. सरकार ये बताने की कोशिश करेगी कि आमजनता के हित में लिए जा रहे फैसलों का रास्ता सही दिशा में जा रहा है, और मंजिल भी नजदीक है.
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'बिजली गांव गांव तक पहुंचाई है, घर घर पहुंचाना बाकी है'
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कांग्रेस द्वारा अच्छा काम 2014 ke pehle
आर्थिक सुरक्षा:
कुछ समय पहले यूपीए द्वारा शुरू की गई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि उनके शासन के दौरान आर्थिक विकास दोनों समावेशी और व्यापक दोनों रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि शहरी और ग्रामीण इलाकों में उपभोग क्षमता में वृद्धि हुई है, ग्रामीण इलाकों में खपत के साथ एनडीए शासन के दौरान केवल 0.8 प्रतिशत से 3.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इसके अलावा, पिछले पांच वर्षों के दौरान सूक्ष्म कंपनियों और एसएमई को ऋण सुविधाएं दोगुनी हो गई हैं।
मनरेगा:
कांग्रेस को "दुनिया में अपनी तरह की सबसे बड़ी सामाजिक कल्याण योजना" के बारे में बात करने के लिए बहुत कुछ है। वर्ष 2006 में लॉन्च किया गया, इस योजना ने भारत में ग्रामीण परिवार का एक बड़ा हिस्सा लाभान्वित किया है। मनरेगा के तहत मजदूरी अस्तित्व में आने के बाद से लगभग दोगुनी हो गई है। पिछले साल, इसने 4.8 करोड़ से अधिक परिवारों को रोजगार प्रदान किया था
खाद्य सुरक्षा:
हालांकि कांग्रेस ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक में अभी तक कोई रास्ता नहीं बनाया है, लेकिन यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि यूपीए कार्यकाल के दौरान खाद्य सब्सिडी में तीन गुना वृद्धि हुई है।
प्रो-गरीब नीतियां:
कांग्रेस ने कृषि ऋण में उल्लेखनीय वृद्धि सुनिश्चित की है, जिसे पिछले कुछ वर्षों में अनाज के रिकॉर्ड उत्पादन के कारणों में से एक के रूप में जाना जाता है। किसानों की दुर्दशा को ध्यान में रखते हुए, पार्टी ने धीरे-धीरे कृषि उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाया।
आंतरिक सुरक्षा:
कुछ स्पोरैडिक मामलों को छोड़कर, कश्मीर में आतंकवाद से संबंधित घटनाओं में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है। केंद्र और राज्य आतंकवाद को रोकने के लिए निकट समन्वय में काम किया। माओवादी प्रभावित राज्यों में सुशासन बहाल करने के कांग्रेस के प्रयासों के कारण बाएं विंग चरमपंथ के मामले भी नीचे आ गए हैं।
सामाजिक सुरक्षा:
कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए ने अल्पसंख्यकों के लिए कई बहु-क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम और छात्रवृत्ति योजनाएं शुरू की हैं। पार्टी सत्ता में आने के बाद, यह सुनिश्चित किया गया कि अल्पसंख्यकों को प्राथमिकता क्षेत्र उधार मिलता है ताकि वे छोटे व्यवसाय शुरू और विस्तार कर सकें।
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Note :
किसी भी हेल्थ टिप्स को अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य ले. क्योकि आपके शरीर के अनुसार क्या उचित है या कितना उचित है वो आपके डॉक्टर के अलावा कोई बेहतर नहीं जानता
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