एक ज्वाईंट फैमिली की सबसे बड़ी बहु होने के नाते परिवार के लिए मेरी जिम्मदारी भी बड़ी है। हर सुबह 6 बजे का अलार्म बजता है, कही अलार्म से उनकी नींद ना टूट जाए ये फिक्र मेरी नींद को तुरंत भगा देती है। एक पत्नी होने के नाते पति की खुशी और उनकी सहुलियत का ध्यान रखना भारतीय और धार्मिक परंपरा के अनुसार एक संस्कारी नारी होने की निशानी है। मेरीे हर सुबह जल्दी जगने की डयूटी शुरू होती है हमारे बेटे के स्कूल जाने की तैयारी से। आर्यन महज 9 साल का है, 7 बजे उसके स्कूल की बस हमारे घर के गेट के सामने हार्न की दहाड़ लगाने लग जाती है। बेटे को तैयार करने से लेकर उसके टीफिन के बाद घर वालों के लिए नाश्ता तैयार करना मेरी जिम्मेदारी का अहम हिस्सा है।
आर्यन स्कूल से जब घर आता तो अक्सर अपने दोस्त समीर को साथ लाता। समीर का घर हमारे घर से कुछ ही दूरी पर है। समीर को मेरे हाथ का बना खाना बेहद पसंद था। खाना खाने के लिए वो दोनो साथ बैठते, आर्यन को मेरे हाथ से खाना खाता देख समीर की भी फर्माइश होती की मुझे भी आपके हाथ से खाना है। फिर क्या था, एक निवाला आर्यन और एक निवाला समीर को मै खिलाने लगती। समीर अक्सर कहता कि मेरी मम्मी मुझसे प्यार नही करती, वो आपकी तरह खाना भी नही बनाती। मुझे अपने घर रहना अच्छा नही लगता, मै जब बड़ा हो जाउंगा तो घर छोड़ कर चला जाउंगा। एक मासूम के दिमाग में ऐसे ख्यालों की उपज उसके आने वाले दिनों के लिए अच्छी नही थी।
हम सबको ज़रूरत है की बच्चों के दिमाग में पल रहे ऐसे ख्यालों को उनके दिल में ना उतरने दें। हम बड़े लोग बच्चों की ऐसी बातों को बचकाना समझ कर अक्सर मुस्कुरा कर भुला देते है, मैने भी ऐसा ही किया। दिन बितते गए बच्चे बड़े होते गए। मेरे बेटे आर्यन को उन्होने बोर्डिंग स्कूल भेजने का फैसला किया, उसे जाना तो पसंद नही था लेकिन हमारे समझाने पर वो जाने को तैयार हो गया। अब आर्यन और समीर का साथ भी छूट गया। उसे बोर्डिंग स्कूल गए 6 साल बीत गए, आर्यन अब 15 साल का हो चुका था। अप्रेल के महीने बोर्ड का एग्जाम देकर वो घर आया, उसके आने की खुशी में पूरे घर वालों ने कही बाहर घूमने का प्लान बनाया। मुझसे पूछे जाने पर मैने शिव नगरी काशी घूमने की अपनी इच्छा ज़ाहिर की।
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हम सबको ज़रूरत है की बच्चों के दिमाग में पल रहे ऐसे ख्यालों को उनके दिल में ना उतरने दें। हम बड़े लोग बच्चों की ऐसी बातों को बचकाना समझ कर अक्सर मुस्कुरा कर भुला देते है, मैने भी ऐसा ही किया। दिन बितते गए बच्चे बड़े होते गए। मेरे बेटे आर्यन को उन्होने बोर्डिंग स्कूल भेजने का फैसला किया, उसे जाना तो पसंद नही था लेकिन हमारे समझाने पर वो जाने को तैयार हो गया। अब आर्यन और समीर का साथ भी छूट गया। उसे बोर्डिंग स्कूल गए 6 साल बीत गए, आर्यन अब 15 साल का हो चुका था। अप्रेल के महीने बोर्ड का एग्जाम देकर वो घर आया, उसके आने की खुशी में पूरे घर वालों ने कही बाहर घूमने का प्लान बनाया। मुझसे पूछे जाने पर मैने शिव नगरी काशी घूमने की अपनी इच्छा ज़ाहिर की।
बनारस में नदेसर के मेराडिन ग्राण्ड रेस्टेरेन्ट फैमिली रेस्टोरेन्ट के लिए काफी मशहूर है। फिर क्या! हमारी पूरी फैमिली वही रात का खाना खाने पहुंची।
हमारी फैमिली की अबादी को देखते हुए मैनेजर ने दो टेबल को एकसाथ जोड़ने का फैसला किया। हम सब कुर्सी पर अराम फरमाते हुए विराजमान हो गए। टेबल पर गिरे प्याज के एक टूकड़े को देख, मैने दुबारा टेबल साफ करने को कहा। मैनेजर ने आवाज़ लगाई ‘‘समीर, ये कैसे साफ किया है, टेबल गंदा कैसे है‘‘, वो बच्चा नजर झुकाए बिना कुछ कहे, हमारी टेबल को कपड़े से साफ करने लगा। मेरी नजर जब बच्चे के चहरे पर पड़ी तो मैने बगल में बैठे आर्यन से कहा- ये तो तुम्हारा दोस्त समीर लग रहा है, उसने जवाब दिया, हां मम्मी लग तो वही रहा है। हमारी बातें जब उस बच्चे के कानों तक पड़ी तो वो अपने सफाई करने वाले कपड़े के साथ एक तेज़ रफ्तार से अंदर भागा, उसे ढूढ़ने मै अंदर गई, लेकिन तब तक वो उस रेस्टोरेंट को ही छोड़ कर कही चला गया। उसके बारे में किसी को कुछ नही पता था। हमने मैनेजर से समीर के घर के बारे में पुछा, उन्हे भी कुछ नही पता था।
उस वक्त मुझे एहसास हुआ आखिर बच्चों को ये कैसे लग जाता है की उनके मां बाप उनसे प्यार नही करते। वो अपनी निंद की परवाह ना करते हुए बच्चों के बेहतर भविष्य का सपना लिए अलार्म के परेशान करने वाली आवाज़ के साथ अपने दिन की शुरूआत करते है। बच्चों के साथ-साथ घर के हर एक सदस्य की खुशी का ध्यान रखते है। यहां तक की उनके लिए रात भर जगते है। आखिर कोई बच्चा ये सोचे भी क्यों? आखिर वे बच्चे हीं तो हैं, लेकिन हमें तो समझना चाहिए की मासूम सा बचपन अपने मां बाप के प्यार को उस वक्त तलाशता है जब वो अपने दोस्तों को अपने मां बाप के साथ खाता पीता या खेलता कूदता देखता है, वो भी इस बात की ख्वाहिश रखता है की उसके मां बाप भी उसे गोद में बैठाकर उनसे भी ये पुछे की आज स्कूल में क्या सीखा? आज तो मै तुम्हे अपने हाथ से खाना खिलाने वाला/वाली हूँ। इस एहसास और बात को अगर समीर के मां बाप भी 6 साल पहले समझ जाते तो आज एक मासूम खाने की टेबल साफ नही कर रहा होता।
Mother Day Status :-
हर इंसान के ज़िन्दगी में वह सबसे ख़ास होती है,
दूर होते हुए भी वह दिल के पास होती है,
जिसके सामने मौत भी अपना सर झुका दे,
वह और कोई नहीं बस माँ होती है.
Happy Mother’s Day !!!
जब दुनियादारी में दर्द हमें होता हैं,
तो चोट लगती है माँ के दिल को,
और जब तक हमारी आँखों में हँसी
नहीं देखती तब तक उसके दिल को
सखूँ नहीं मिलता हैं,,,
Happy Mother’s Day😘
सबने बताया कि, आज मां का दिन है..
कौन बताएगा कि वो कौन सा दिन है, जो मां के बिन है..😊
#MothersDay
यूं ही नहीं गूंजती किल्कारीयां घर आँगन के हर कोने मे..!…
.
जान हथैली पर रखनी पड़ती है ‘माँ’ को ‘माँ’ होने मे…!!
.
#Happy_Mothers_day_
वह माँ ही है ,
जो हमे दुनिया से 9 महीनों ज्यादा जानती है।😊😊
जो आपकी खुशी के
लिये हार मान लेता
है,
उससे आप कभी जीत
नही सकते…
मदर्स डे की शुभकामनाये! !!
माँ के लिए क्या लिखूँ दोस्तों, माँ ने खुद मुझे लिखा है |
🌹हैप्पी मदर्स डे🌹
मैं ही नहीं,
बड़े बड़े सूरमा भी याद करते हैं…
‘दर्द’ जब हद से ज्याद होता है तो,
सब “माँ” याद करते हैं |।।
बड़े बड़े सूरमा भी याद करते हैं…
‘दर्द’ जब हद से ज्याद होता है तो,
सब “माँ” याद करते हैं |।।
एक ऐसा डॉक्टर जिसे डिग्री की ज़रुरत नहीं होती वो है ” माँ “
मरने के बहुत रास्ते है पर जन्म लेने के लिए सिर्फ माँ….
माँ तो वो फरिश्ता है जिसकी कोख से जन्म लेने के लिए भगवान् भी तरसते हैं
माँ तेरा क़र्ज़ मुझसे अदा क्या होगा….तू अगर नाराज है तो, खुश मुझसे “ईश्वर ” क्या होगा…
जब तक मेरी माँ जिंदा थी मैं बच्चा था…. Miss you mom 🙁 🙁
मैंने ” माँ ” के कंधे पर सर रख कर पूछा , “माँ ” कब तक मुझे अपने कन्धों पर सोने दोगी! माँ का जवाब था बेटा जब तक तू, मुझे अपने कंधे पर ना उठा ले तब तक
माँ से ऐसा रिश्ता बनाया जाए, जिसको निगाहों में बिठाया जाए, रहे उसका और मेरा रिश्ता कुछ ऐसा कि वो अगर उदास हो तो मुझसे भी मुस्कराया न जाए …
जन्नत का दूसरा नाम माँ है…
कौन कहता है कि भगवान् एक है ? मेरी माँ भी तो है..
ये जो सख्त रस्तो पे भी आसान सफ़र लगता हे…ये मुझ को माँ की दुआओ का असर लगता है,
एक मुद्दत हुई मेरी मां नही सोई …मेने एक बार कहा था के मुझे डर लगता है।
जिस घर में माँ की कदर नहीं होती,उस घर में कभी बरकत नहीं होती।
जन्नत का हर लम्हा दीदार किया था, माँ तूने गोद मे उठा कर जब प्यार किया था !
मरने के बहुत रास्ते है पर जन्म लेने के लिए सिर्फ माँ….
माँ तो वो फरिश्ता है जिसकी कोख से जन्म लेने के लिए भगवान् भी तरसते हैं
माँ तेरा क़र्ज़ मुझसे अदा क्या होगा….तू अगर नाराज है तो, खुश मुझसे “ईश्वर ” क्या होगा…
जब तक मेरी माँ जिंदा थी मैं बच्चा था…. Miss you mom 🙁 🙁
मैंने ” माँ ” के कंधे पर सर रख कर पूछा , “माँ ” कब तक मुझे अपने कन्धों पर सोने दोगी! माँ का जवाब था बेटा जब तक तू, मुझे अपने कंधे पर ना उठा ले तब तक
माँ से ऐसा रिश्ता बनाया जाए, जिसको निगाहों में बिठाया जाए, रहे उसका और मेरा रिश्ता कुछ ऐसा कि वो अगर उदास हो तो मुझसे भी मुस्कराया न जाए …
जन्नत का दूसरा नाम माँ है…
कौन कहता है कि भगवान् एक है ? मेरी माँ भी तो है..
ये जो सख्त रस्तो पे भी आसान सफ़र लगता हे…ये मुझ को माँ की दुआओ का असर लगता है,
एक मुद्दत हुई मेरी मां नही सोई …मेने एक बार कहा था के मुझे डर लगता है।
जिस घर में माँ की कदर नहीं होती,उस घर में कभी बरकत नहीं होती।
जन्नत का हर लम्हा दीदार किया था, माँ तूने गोद मे उठा कर जब प्यार किया था !
NOTE : यहां दी गई जानकारी एक सामान्य अनुमान और धारणा ओ के आधारित हे किसी भी जानाकरी कोई निष्कर्ष पर कृपया ना पोहचे। जानकारी के अनुरूप Expert की सलाह जरूर ले. धन्यवाद
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